नयी दिल्ली, 20 नवंबर (एजेंसी) दिल्ली की एक अदालत ने छत्रसाल स्टेडियम में एक पहलवान की हत्या के मामले के आरोपियों में से एक गौरव लौरा को स्कूल की परीक्षा में बैठने के लिए 5 दिन की हिरासत में पैरोल की अनुमति दी। इस मामले में ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार मुख्य आरोपी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिवाजी आनंद ने हरियाणा के झज्जर जिले के एक स्कूल में लौरा को 12वीं कक्षा की परीक्षा देने की इजाजत दी। उन्होंने कहा कि पुलिस सुरक्षा में अन्य राज्य में जाने का खर्च आरोपी पहलवान को उठाना होगा। जज ने कहा, ‘आरोपी को परीक्षा में बैठने के लिए 20 नवंबर, 29 नवंबर, एक दिसंबर, छह दिसंबर और 10 दिसंबर के लिए दोपहर 12 बजे से शाम छह बजे तक के लिए हिरासत में पैरोल दी जाती है।’ अभियोजन पक्ष ने कहा था कि आरोपी को अन्य राज्य में ले जाने पर राज्य पर खर्च का अनावश्यक भार पड़ेगा, जिसके बाद, अदालत ने 18 नवंबर के आदेश में आरोपी को 20 हजार रुपये जमा करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, ‘बाकी का खर्च राज्य वहन करेगा।’ लौरा, पहलवान सागर धनखड़ की कथित हत्या के मामले में आरोपी है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।