नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (एजेंसी)
भारत की सर्वोच्च पंचायत की गोलाकार आकृति वाला ऐतिहासिक संसद भवन भले ही अब इसके एक नये भवन परिसर के कारण सत्ता की चमक-धमक से दूर हो जाएगा किंतु इसकी ऐतिहासिक प्रासंगिकता कभी धुंधली नहीं पड़ सकती क्योंकि यही वह स्थान है जहां से देश ने ‘नियति के साथ साक्षात्कार’ किया था। लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने बताया कि यह वही भवन है जहां क्रांतिकारी भगत सिंह ने ‘औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार को जगाने’ का प्रयास किया था, जहां संविधान को अपना स्वरूप मिला, जहां ब्रिटिश सरकार ने सत्ता सौंपी। यह वही परिसर है जहां पहली बार सांसद के रूप में कदम रखने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माथा टेका था। इन बातों को, घटनाओं को भुलाया नहीं जा सकता है।’
आचार्य ने बताया कि मौजूदा भवन देश के इतिहास के ‘एक सुनहरे पन्ने’ को दिखाता है और नये संसद भवन के निर्माण के साथ ही यह अध्याय समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि 2026 में सांसदों की अधिकतम संख्या पर लगी रोक समाप्त होने के बाद उनकी संख्या बढ़ेगी और वर्तमान संसद भवन में इतने लोगों के बैठने की जगह नहीं है।
इतिहास की कई घटनाओं का गवाह
यह संसद भवन कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। इसी भवन में क्रांतिकारी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंक कर ब्रिटिश सरकार तक अपनी आवाज पहुंचानी चाही थी, यहां पर संविधान सभा की बैठकें हुईं, पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने 14-15 अगस्त, 1947 की आधी रात को देश की आजादी के अवसर पर अंग्रेजी में अपना भाषण ‘ट्राइस्ट विथ डेस्टिनी’ (नियति के साथ साक्षात्कार) दिया था। ब्रिटिश कालीन इस इमारत की डिजाइन और निर्माण कार्य की जिम्मेदारी एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बाकर को दी गयी थी। इन्हीं लुटियंस के नाम पर संसद भवन और आसपास के क्षेत्र को लुटियंस जोन कहा जाता है। वर्तमान संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को रखी गई और छह साल चले निर्माण कार्य में उस समय 83 लाख रुपये का खर्च आया था। भवन का उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था।
आतंकवादी हमले का भी हुआ शिकार
28 जनवरी, 1950 को अपनी स्थापना से लेकर 1958 तक भारत का उच्चतम न्यायालय संसद भवन के चेम्बर ऑफ प्रिंसेज से कामकाज करता था। उसके बाद यह अपने वर्तमान भवन में गया। वर्तमान संसद भवन जहां कई ऐतिहासिक क्षणों और संसदीय बहस का गवाह रहा। वहीं 2001 में यह आतंकवादी हमले का शिकार भी बना जिसमें इस परिसर के भीतर सुरक्षा कर्मियों सहित 9 लोगों की जान गयी थी।