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Historical Places : यहां आज भी मौजूद है मां सीता के स्वयंवर का ऐतिहासिक धनुष, पढ़िए अनोखी कहानी

Historical Places : यहां आज भी मौजूद है मां सीता के स्वयंवर का ऐतिहासिक धनुष, पढ़िए अनोखी कहानी
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चंडीगढ़, 13 दिसंबर (ट्रिन्यू)

Historical Places : भारत में ऐसे ऐतिहासिक स्थल है, जिसे रामायण काल की धरोहर माना जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां त्रेता युग में माता सीता के स्वयंवर का धनुष का उल्लेख मिलता है।

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हम बात कर रहे हैं नेपाल में स्थित एक हिंदू पूजा स्थल की, जहां दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। रामायण काल की धरोहर इस जगह को ‘धनुषा’ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे कहा जाता है कि यहीं भगवान राम द्वारा तोड़े गए शिव धनुष का एक टुकड़ा गिरा था, जिसे सीता के स्वयंवर के दौरान श्रीराम ने तोड़ दिया था। अब धनुष के बचे हुए हिस्से के चारों ओर मंदिर है और दुनिया भर से हिंदू भक्त यहां आते हैं। इसलिए इसका नाम धनुषधाम पड़ा।

राजा जनक ने माता सीता के स्वयंवर के लिए कई राजाओं और योद्धाओं को बुलाया था, लेकिन कोई भी शिव धनुष को हिला तक नहीं सका। फिर भगवान राम ने इसे सहजता से उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाई, लेकिन धनुष तीन टुकड़ों में टूट गया। धनुष का पहला टुकड़ा आकाश की ओर उड़ते हुए रामेश्वरम में गिरा जबकि दूसरा टुकड़ा पाताल में चला गया। माना जाता है कि दूसरा टुकड़ा जनकपुर के राम मंदिर के पास स्थित तालाब में गिर था। वहीं, तीसरा टुकड़ा नेपाल के इस स्थान पर गिरा था।

यहां एक पत्थरनुमा आकृति भी मौजूद है, जिसे ना ही पत्थर कहा जा सकता है, न ही लोहा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह 500 साल पुराना हैं, लेकिन इसकी वास्तविक उम्र और उत्पत्ति पर कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। धनुष के पास मौजूद जलस्रोत को ‘पातालगंगा’ कहा जाता है, जिसका पानी कभी खत्म नहीं होता।

स्थानीय लोगों का मानना है कि जलस्त्रोत का बदलता रंग बताता है कि गांव में बारिश होगी या सूखा पड़ेगा। वहीं, पीपल के पेड़ के नीचे स्थित धनुष की संरचना भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। नेपाल सरकार ने इसे एक संरक्षित धरोहर घोषित किया है, जहां हर साल हजारों टूरिस्ट आते हैं।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। Dainiktribune.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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