Himachal News : आउटसोर्स के लिए नीति लाएगी हिमाचल सरकार, अग्निहोत्री बोले - हमें फक्र है ओपीएस देने का
ज्ञान ठाकुर/शिमला, 22 मार्च
Himachal News : उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि प्रदेश सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति लाएगी। मुकेश अग्निहोत्री शनिवार को विधानसभा में भाजपा के सुखराम चौधरी द्वारा आउटसोर्स के मुददे पर गैर सरकारी कार्य दिवस के तहत लाए गए संकल्प पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की कैबिनेट सब-कमेटी इस पर काम कर रही है और इस समस्या का सर्वश्रेष्ठ हल तलाशा जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्या सालों पुरानी है और उनके हितों की रक्षा करना जरूरी है। उन्होंने माना कि आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण हो रहा है क्योंकि इनके लिए कोई निर्धारित मानक प्रक्रिया नहीं है और जो माॅडल टैंडर पेपर 21-12-2021 को जारी किया गया है उसका भी ठेकेदार अनुसरण नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ठेकेदारों पर खासकर आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन देने को लेकर कोई नियम नहीं है। ऐसे में यह ठेकेदार कर्मचारियों से मनमाना कमिशन काट रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल में पहली बार आउटसोर्स की भर्ती भाजपा सरकार ने वर्ष 2009 में शुरू हुई थी। उप-मुख्यमंत्री के जवाब से संतुष्ट सुखराम चौधरी ने बाद में अपना संकल्प वापिस ले लिया।
आउटसोर्स के लिए नहीं सुविधाओं का प्रावधानः सुखराम
इससे पहले सुखराम चौधरी ने संकल्प पेश करते हुए कहा कि प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत लगभग 35 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि शोषण को रोकने के लिए प्रदेश में हरियाणा की तर्ज पर नीति बनाई जानी चाहिए और इसमें आरक्षण समेत अन्य सुविधाओं का भी प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल में मौजूदा आउटसोर्स नीति दोषपूर्ण है।
आउटसोर्स शोषण वाली व्यवस्था
विधायक किशोरी लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार अपनी अलग आउटसोर्स नीति बनाएगी। विधायक सत्तपाल सिंह सत्ती ने कहा कि आउटसोर्स शोषण वाली व्यवस्था है और जबतक इसे बंद नहीं कर दिया जाता तबतक आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन समय पर दिया जाए। विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति न होने के कारण प्रदेश में इनका बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा है।
11 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को निकाला बाहरः हंसराज
विधायक डाॅ. हंसराज ने कहा कि प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों की इंतहा हो चुकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 11-12 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। इनमें वह कर्मचारी भी शामिल है जिन्होंने कोरोना काल में अपना जीवन जोखिम में डालकर सेवाएं की। विधायक विनोद कुमार ने कहा कि जब पीटीए, एसएमसी या पैरा टीचर के लिए पाॅलिसी बन सकती है तो आउटसोर्स के लिए क्यों नहीं। विधायक विवेक शर्मा, सुदर्शन बबलू, डाॅ. जनकराज, हरीश जनारथा और लखनपाल ने भी संकल्प में हुई चर्चा में हिस्सा लिया।
हिमाचल में प्राइमरी स्कूलों में 50 प्रतिशत घटा एनलोरमेंट
हिमाचल प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों में एनलोरमेंट में 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। यह खुलासा शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आज प्रदेश विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक राकेश कालिया, पवन काजल और रणधीर शर्मा के संयुक्त प्रश्न के उतर में किया। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2003-04 में मिडिल तक 12404 स्कूल थे जिनमें 9.71 लाख विद्यार्थी पढ़ते थे, लेकिन साल 2023-24 में यह संख्या घटकर 429070 रह गई है। हालांकि स्कूलों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2002-03 में प्रदेश में शिक्षक-छात्र अनुपात 1ः22 था, जो 2023-24 में सुधर कर 1ः11 हो गया है जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में यह आंकड़ा 1ः3 है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि बीते दो सालों में प्रदेश में 3450 शिक्षकों की बैचवाइज नियुक्तियां की गई है। लेकिन चंबा जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में अभी भी बड़ी संख्या में पद खाली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही ताजा नियुक्तियों में से अधिकांश नियुक्तियां उन स्कूलों में की जाएगी जहां पद खाली है और जहां शिक्षक छात्र अनुपात बेहतर है। उन्होंने कहा कि प्रधानाचार्यों और मुख्यध्यापकों की पदोन्नतियों के निर्देश भी दिए जा रहे हैं।
करसोग के विधायक दीप राज द्वारा फल प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा कि राज्य भर में आठ पुरानी इकाइयां हैं, जहां उत्पादकों को फल प्रसंस्करण पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है तथा 60 प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। नेगी ने कहा कि सेब का जूस तैयार करने के लिए पराला में 120 करोड़ रुपये की प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है तथा विभिन्न इकाइयों में 1800 मीट्रिक टन फलों का प्रसंस्करण किया गया है। जरोल, परवाणू तथा पराला में फलों का प्रसंस्करण किया जा रहा है। शिवा परियोजना के तहत दो फल प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए बजट में प्रावधान है। नेगी ने कहा कि विपणन का कार्य एचपीएमसी तथा एपीएमसी द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में विभिन्न स्थानों पर नए विपणन यार्ड स्थापित करने के लिए एपीएमसी को 400 करोड़ रुपये दिए हैं।
कम हो रहा ग्लेशियरों का क्षेत्रफलः अग्निहोत्री
लाहौल स्पीति की विधायक अनुराधा राणा के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पंचायतों को अनुदान देने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि चंद्रा बेसिन में ग्लेशियरों का क्षेत्रफल 2.4 प्रतिशत घटा है। भागा बेसिन में ग्लेशियरों का क्षेत्रफल 3.2 प्रतिशत कम हुआ है। म्याड़ में भी ग्लेशियरों का क्षेत्रफल घटकर 376 वर्ग किलोमीटर रह गया है। जबकि स्पीति बेसिन में भी ग्लेशियरों का क्षेत्रफल 2.4 प्रतिशत कम हुआ है। उन्होंने कहा कि यह बहुत चिंताजनक प्रवृत्ति है, इसलिए प्रदेश सरकार ने 1300 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाई गई है, जिसमें 145 स्नो स्तूप, 1100 स्नो रैक और स्नो पॉइट का प्रावधान है।
अग्निहोत्री ने आश्वासन दिया कि हम इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाएंगे और स्नो हारवेस्टिंग के उपायों के लिए धन की मांग करेंगे। पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चैधरी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 60 प्रतिशत भूमि असिंचित है और भूजल स्तर में गिरावट को रोकने के लिए मास्टर प्लान तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है, इसलिए उसे रिचार्ज करने की आवश्यकता है। जल जीवन मिशन के तहत, केंद्र इस पर काम कर रहा है। इस दौरान अनुराधा राणा ने कहा कि उनका जिला बहुत शुष्क है, क्योंकि यहां बहुत कम बारिश होती है और बर्फ भी कम गिर रही है। उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीति में लद्दाख की तरह स्नो हारवेस्टिंग के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
वेंडिंग पाॅलिसी बनाने पर विचार कर रही सरकारः अनिरुद्ध
विनोद सुल्तानपुरी के एक सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वेंडिंग जोन बनाने के लिए कोई नीति इस समय नहीं है, लेकिन ग्राम पंचायतें इस तरह की गतिविधियों को रेगुलेट करने के लिए नियम तय कर सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वेंडिंग पाॅलिसी बनाने पर विचार कर रही है।
हमें फक्र है ओपीएस देने काः अग्निहोत्री
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इस बात का फक्र है कि उन्होंने राज्य के 1.36 लाख कर्मचारियों को ओपीएस की सौगात दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के फैसले के बाद 117521 कर्मचारियों ने ओपीएस को अपनाया है जबकि 1356 कर्मचारी अभी भी एनपीएस में है। विधायक सतपाल सत्ती के मूल सवाल के जबाब में अग्निहोत्री ने कहा कि एनपीएस के तहत प्रदेश सरकार का 9242 करोड़ रुपए केंद्र के पास जमा है। इसमें से 50 प्रतिशत राशि प्रदेश सरकार और 50 प्रतिशत कर्मचारियों की है।
उन्होंने कहा कि जबतक केंद्र के पास जमा प्रदेश सरकार का पैसा वापिस नहीं आ जाता तबतक कर्मचारी ओपीएस के पात्र नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि ओपीएस में आने के लिए कर्मचारियों को सेवानिवृत होने पर उन्हें केंद्र सरकार से मिलने वाले प्रदेश सरकार के हिस्से को राज्य सरकार को वापिस करना होगा। यह पैसा सरकारी खाते में आते ही संबंधित कर्मचारी को पूरानी पेंशन बहाल हो जाएगी और उसे ओपीएस के लाभ मिलना शुरू हो जाएंगे। उन्होने कहा कि ओपीएस हमारा वायदा है और हम इसे देकर रहेंगे। अग्निहोत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ने एचआरटीसी में ओपीएस लागू कर दिया है और बिजली बोर्ड में इसे लागू करना विचाराधीन है।