ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 1 सितंबर
पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी का पार्थिव शरीर मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। यहां लोधी रोड स्थित विद्युत शवदाह गृह में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सेना की टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी। बेटे अभिजीत मुखर्जी ने अंतिम क्रियाएं की। पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव थे, इसलिए उनकी अंतिम यात्रा में सीमित लोग ही शामिल हो पाये। घर से शवदाह गृह तक पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को भी कोरोना प्रोटोकाल के चलते गन कैरिज के बजाय हर्स वैन यानी शव वाहन में ले जाया जाएगा। अंतिम संस्कार के दौरान रिश्तेदारों समेत सभी लोगों ने पीपीई किट पहनी हुई थी। मुखर्जी के शव को लकड़ी के ताबूत में रखा गया था, जो राष्ट्रीय ध्वज से ढका था। शवदाह गृह में लोगों ने ‘प्रणब दा अमर रहें’ के नारे भी लगाए।
इससे पहले मुखर्जी के पार्थिव शरीर को मंगलवार सुबह 9.30 बजे अस्पताल से उनके सरकारी आवास 10, राजाजी मार्ग लाया गया, जहां गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए नहीं रखा गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विभिन्न दलों के नेताओं व मुखर्जी के शुभचिंतकों ने उनके चित्र पर ही फूलमालाएं चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भी पूर्व राष्ट्रपति के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेताओंं ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
देश के 13वें राष्ट्रपति रहे 84 वर्षीय प्रणब मुखर्जी का सोमवार शाम निधन हो गया था। मस्तिष्क में रक्त का थक्का बनने के कारण उन्हें 10 अगस्त को सेना के रिसर्च एंड रेफरल (आरएंडआर) अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ब्रेन सर्जरी के बाद उनकी हालत गंभीर हो गयी थी।