गोल्ड कार्ड से यूएस कंपनियां कर सकेंगी भारतीयों की भर्ती : ट्रंप
वाशिंगटन, 27 फरवरी (एजेंसी)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रस्तावित ‘गोल्ड कार्ड’ पहल से अमेरिकी कंपनियों को हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों से भारतीय स्नातकों को नियुक्त करने की अनुमति मिलेगी। ट्रंप ने बुधवार को धनी विदेशियों के लिए ‘गोल्ड कार्ड’ पहल की शुरुआत की। इसके तहत 50 लाख अमेरिकी डॉलर के शुल्क के बदले उन्हें अमेरिका में रहने और काम करने का अधिकार दिया जाएगा तथा नागरिकता की पेशकश की जाएगी। ट्रंप ने कहा कि मौजूदा इमिग्रेशन प्रणाली ने शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाओं, खासकर भारतीय को, अमेरिका में रहने और काम करने से रोक दिया है। ट्रंप ने कहा कि कोई कंपनी ‘गोल्ड कार्ड’ खरीद सकती है और इसका इस्तेमाल इस तरह के स्नातकों की भर्ती में कर सकती है।
उधर, ट्रंप प्रशासन ने कहा कि वह यूएसएआईडी के 90 से अधिक विदेशी सहायता अनुबंधों को खत्म कर रहा है और दुनियाभर में कुल 60 अरब डॉलर की अमेरिकी सहायता को बंद कर रहा है। इसके बाद यूएसएड की कुछ ही परियोजनाएं बचेंगी।
मेक्सिको, कनाडा पर 4 मार्च से लगेगा शुल्क
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनकी कनाडा और मेक्सिको पर मंगलवार यानी चार मार्च से शुल्क लगाने की योजना है। उन्होंने चीन से आयातित सामान पर शुल्क की दर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर दोगुना करने की मंशा जताई।
जवाबी शुल्क पर ट्रंप को न कहे माेदी सरकार : कांग्रेस
नयी दिल्ली (एजेंसी) : कांग्रेस ने कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाने से देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। ऐसे में मोदी सरकार को अमेरिका से यह कहने की हिम्मत करनी चाहिए कि उसे यह स्वीकार नहीं है। पार्टी नेता अजय कुमार ने आरोप लगाया कि सरकार ट्रंप प्रशासन को खुश करने के लिए जवाबी शुल्क और एफ-35 विमान के सौदे से इनकार नहीं कर रही है।
‘खनिज समझौते पर हस्ताक्षर के लिए अमेरिका आ रहे जेलेंस्की’
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ‘खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए शुक्रवार को ‘व्हाइट हाउस’ आएंगे। ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक की शुरुआत में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह समझौता अमेरिका को यूक्रेन के तथाकथित दुर्लभ खनिजों के भंडार तक पहुंच प्रदान करेगा, जिनका उपयोग एयरोस्पेस, रक्षा और परमाणु उद्योगों में किया जाता है।