Free Trade Agreement : कांग्रेस ने जताई MSME पर गंभीर चिंता, कहा - ब्रिटेन के साथ एफटीए पर देश को झेलने पड़ेंगे गंभीर परिणाम
Free Trade Agreement : कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के घातक परिणाम होंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर इसका सबसे अधिक असर होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए तथा उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इससे इन दोनों देशों के साथ भारत के संबंध प्रगाढ़ होंगे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री की लंदन यात्रा भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर के लिए है, जिसके वास्तव में कई हितधारकों के लिए घातक परिणाम होंगे। सबसे ज्यादा असर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर होगा, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, भारत के श्रमिकों के सबसे बड़े नियोक्ता हैं और पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार की कुछ बड़े व्यावसायिक समूहों को तरजीह देने की नीति के कारण उपेक्षा और संकट का विषय रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि एफटीए के कारण ऑटोमोबाइल विनिर्माता भी इसी तरह प्रभावित होंगे तथा दवा उद्योग पर असर पड़ेगा। रमेश ने कहा कि दिल्ली स्थित थिंक टैंक ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव' (जीटीआरआई) द्वारा कुछ मुद्दे उठाए गए हैं। रमेश ने कहा कि इस थिंक टैंक का कहना है कि इससे ब्रिटिश फर्मों के लिए अनुमानित 600 अरब डॉलर का एक विशाल बाजार खुल जाता है।
कांग्रेस ने कहा, ‘‘यह मुक्त व्यापार समझौता सरकारी नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। इससे पहले, भारत ने सरकारी खरीद को व्यापारिक सौदों से बाहर रखा था। स्थानीय उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत के पास उपलब्ध औद्योगिक नीति के कुछ ही क्षेत्रों में से यह एक है। यह रास्ता अब खतरे में है।''
रमेश ने जीटीआरआई का हवाला देते हुए कहा, ‘‘ भारत कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) से छूट हासिल करने में विफल रहा है, जो ब्रिटेन को भारतीय उत्पादों पर कार्बन कर लगाने की अनुमति देता है, जबकि हम उन्हें शुल्क-मुक्त पहुँच प्रदान करते हैं। यही मिसाल अब यूरोपीय संघ पर भी लागू होगी, जिसके साथ भारत वर्तमान में बातचीत कर रहा है।'' कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘घूमने-फिरने वाले प्रधानमंत्री और उनके समर्थक मुक्त व्यापार समझौते को चाहे जो भी मोड़ दें, अब इस समझौते के हमारे घरेलू उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।''