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केजरीवाल का मौलिक अधिकार नहीं चुनाव प्रचार

सुप्रीम कोर्ट में ईडी ने दिया हलफनामा
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नयी दिल्ली, 9 मई (एजेंसी)

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को हलफनामे के जरिये सुप्रीम कोर्ट में विरोध दर्ज कराया। जांच एजेंसी ने कहा कि चुनाव प्रचार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक नये हलफनामे में ईडी ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां राजनीतिज्ञों ने न्यायिक हिरासत में रहते हुए चुनाव लड़ा और कुछ जीते भी, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए कभी अंतरिम जमानत नहीं दी गई। ईडी ने कहा, ‘चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार भी यदि हिरासत में हो तो उसे अपने खुद के प्रचार के लिए भी अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है। यह कानूनी अधिकार भी नहीं है।’ गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस संजीव खन्ना ने बुधवार को कहा था, ‘हम शुक्रवार को अंतरिम आदेश (अंतरिम जमानत पर) सुनाएंगे। गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर उस दिन सुनवाई भी होगी।’

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आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। एजेंसी ने अपने हलफनामे में कहा, ‘यदि केजरीवाल को उनकी पार्टी के लिए लोकसभा चुनावों में प्रचार करने के लिए एक राजनीतिज्ञ होने के कारण कोई अंतरिम राहत दी जाती है, तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि जेल में बंद सभी राजनीतिज्ञ यह दावा करते हुए समान राहत की मांग करेंगे कि वे भी इस श्रेणी में आते हैं।’

44 पेज के एफिडेविट में अन्य दलीलें

ईडी ने अपने 44 पृष्ठ के हलफनामे में कहा कि एक राजनीतिज्ञ एक आम नागरिक से अधिक किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकता। इसने कहा, ‘यदि प्रचार अभियान के अधिकार को अंतरिम जमानत देने के आधार के रूप में माना जाता है तो यह अनुच्छेद 14 के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा क्योंकि एक आरोपी किसान के लिए फसल कटाई अंतरिम जमानत के लिए अनुरोध करने वाला उतना ही महत्वपूर्ण कारक होगा जितना कि किसी कंपनी के आरोपी निदेशक के लिए बोर्ड बैठक या वार्षिक आम बैठक।’ इसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप नेता संजय सिंह और बीआरएस नेता के. कविता के मामलों में अदालती आदेशों का हवाला दिया गया।

दाखिल होगा नया आरोपपत्र

ईडी दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन के मामले में जल्द ही नया आरोपपत्र दाखिल कर सकता है और उसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता और अन्य लोगों को बतौर आरोपी शामिल कर सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं, मामले से जुड़े कुछ व्यक्तियों और कंपनियों सहित आधा दर्जन संस्थाओं के खिलाफ आरोपपत्र तैयार किया गया है और एजेंसी इसे अगले चार से पांच दिनों के भीतर यहां एक विशेष पीएमएलए अदालत में दाखिल कर सकती है। आरोपपत्र में आम आदमी पार्टी (आप) का नाम भी शामिल कर सकती है साथ ही 2022 में दर्ज मामले में कुछ नयी संपत्तियों के कुर्की के आंकड़े भी शामिल होंगे। इस मामले में ईडी का यह सातवां आरोपपत्र होगा। एजेंसी ने इस मामले में अब तक केजरीवाल के पार्टी सहयोगी व पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और अन्य सहित 18 लोगों को गिरफ्तार किया है। सिंह को कुछ वक्त पहले जमानत मिल गयी थी। ईडी ने 55 वर्षीय केजरीवाल को दिल्ली सरकार के मंत्रियों, आप नेताओं और अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से किए गए आबकारी 'घोटाले' का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कथित अनियमितताओं की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मुकदमा दर्ज किया था।

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