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छुट्टियों में काम नहीं करना चाहते, दोष न्यायपालिका पर : CJI

नयी दिल्ली, 21 मई (एजेंसी)भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि छुट्टी वाले दिनों में वकील काम नहीं करना चाहते, लेकिन मामलों के लंबित रहने के लिए न्यायपालिका को जिम्मेदार ठहराया जाता है। प्रधान न्यायाधीश बीआर...
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नयी दिल्ली, 21 मई (एजेंसी)भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि छुट्टी वाले दिनों में वकील काम नहीं करना चाहते, लेकिन मामलों के लंबित रहने के लिए न्यायपालिका को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ उस समय नाराज हो गई जब एक वकील ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद याचिका को सूचीबद्ध करने का आग्रह किया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘प्रथम पांच न्यायाधीश छुट्टियों के दौरान बैठे हैं और काम कर रहे हैं, फिर भी लंबित मामलों के लिए हमें जिम्मेदार ठहराया जाता है। असलियत में, वकील हैं जो छुट्टियों के दौरान काम करने के लिए तैयार नहीं होते।' शीर्ष अदालत ने हाल में उन पीठों के संबंध में अधिसूचना जारी की थी जो आगामी ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान 26 मई से 13 जुलाई तक काम करेंगी। इन्हें ‘आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' कहा गया है। इन आंशिक न्यायालय कार्य दिवसों के दौरान दो से लेकर पांच तक अवकाशकालीन पीठ बैठेंगी और प्रधान न्यायाधीश समेत शीर्ष पांच न्यायाधीश भी इस अवधि में कार्यवाही का संचालन करेंगे। पुरानी परिपाटी के अनुसार, ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में केवल दो अवकाशकालीन पीठ होती थीं और वरिष्ठ न्यायाधीश कार्यवाही में शामिल नहीं होते थे। अधिसूचना में पीठों में न्यायाधीशों के साप्ताहिक आवंटन को रेखांकित किया गया है। इसके अनुसार 26 मई से एक जून तक प्रधान न्यायाधीश, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस बीवी नागरत्ना क्रमशः पांच पीठों का नेतृत्व करेंगे। इस अवधि के दौरान, सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी। रजिस्ट्री सभी शनिवार (12 जुलाई को छोड़कर), रविवार और सार्वजनिक अवकाश वाले दिन बंद रहेगी।

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