नयी दिल्ली, 27 सितंबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा, ‘सत्ता के खेल में युवा चिकित्सकों का फुटबॉल की तरह इस्तेमाल न करे।’ न्यायालय ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कि अगर वह (सुप्रीम कोर्ट) राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा – अति विशिष्टता (नीट-एसएस) 2021 के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किये गये बदलाव के औचित्य से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह प्रतिकूल टिप्पणियां करेगा। न्यायालय ने कहा कि वह ‘इन युवा चिकित्सकों को कुछ असंवेदनशील नौकरशाहों के हाथों में खेलने की अनुमति नहीं देगा’। साथ कोर्ट ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) से कहा कि वह अपना घर दुरुस्त करे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को एक सप्ताह के भीतर अन्य 2 अधिकारियों के साथ बैठक करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘आप बेहतर कारण बताइये क्योंकि यदि हम संतुष्ट नहीं हुए तो आपके बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां पारित करेंगे।’ शीर्ष अदालत उन 41 स्नातकोत्तर चिकित्सकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने परीक्षा की अधिसूचना जारी होने के बाद पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किए गए बदलाव को चुनौती दी थी। शुरुआत में युवा चिकित्सकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि उन्होंने इस मामले में एक लिखित दलील भी दाखिल की है। एनएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता गौरव शर्मा ने कहा कि वे मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं और एक सप्ताह के स्थगन का अनुरोध किया।
पीठ ने कहा, ‘श्री शर्मा, एनएमसी क्या कर रही है? हम उन युवा चिकित्सकों के जीवन के बारे में बात कर रहे हैं जो सुपर स्पेशियलिटी कोर्स करेंगे। आपने 23 जुलाई को परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की है और फिर 31 अगस्त को पाठ्यक्रम बदल दिया है। यह क्या है? उन्हें 13 और 14 नवंबर को परीक्षा में बैठना है।’ एनबीई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अगले सोमवार तक जवाब दाखिल करने का समय दिया जाए, क्योंकि बदलाव करने के लिए उपयुक्त कारण थे और संबंधित तीन प्राधिकारियों के अनुमोदन के बाद इसे मंजूरी दी गई थी।’ पीठ ने कहा, ‘फिर परीक्षा के लिए अधिसूचना क्यों जारी की गई? अगले साल ऐसा क्यों नहीं हो सकता? आप देखिए, छात्र इन महत्वपूर्ण चिकित्सा पाठ्यक्रमों की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं। अंतिम समय में बदलाव की क्या ज़रूरत थी?’