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नसबंदी के बावजूद पूरी होगी पुरुषों की संतान की इच्छा

पीजीआई ने रचा इतिहास, पहली बार रोबोट से की ‘वेसोवासोस्टॉमी’ सर्जरी

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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 10 जुलाई

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पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के यूरोलॉजी विभाग ने चिकित्सा क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। संस्थान के डॉ. आदित्य प्रकाश शर्मा, डॉ. गिर्धर बोरा (दोनों एडिशनल प्रोफेसर) और प्रो. रवि मोहन ने देश की पहली रोबोटिक वेसोवासोस्टॉमी सर्जरी को सफलतापूर्वक किया। यह सर्जरी उन पुरुषों के लिए की जाती है, जिन्होंने नसबंदी करवाई हो और अब संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हों। 43 वर्षीय मरीज को यह सर्जरी ‘द विंची सर्जिकल सिस्टम’ की मदद से की गई, जो पारंपरिक माइक्रोस्कोप आधारित तकनीक की तुलना में अधिक सटीकता, स्थिरता और तीन आयामी दृश्य प्रदान करता है। मरीज को सर्जरी के अगले ही दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

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सर्जरी का नेतृत्व करने वाले डॉ. आदित्य शर्मा ने कहा, ‘पीजीआईएमईआर हमेशा से अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने में अग्रणी रहा है। रोबोटिक वेसोवासोस्टॉमी बेहद पतले टांकों से की जाती है, जो मानव बाल से भी पतले होते हैं। यह न केवल सर्जन की थकान और हाथों में कंपन को कम करता है, बल्कि सटीकता भी बढ़ाता है।”

प्रो. रवि मोहन ने कहा, ‘यह सर्जरी दिखाती है कि रोबोटिक तकनीक केवल कैंसर या पुनर्निर्माण संबंधी सर्जरी तक सीमित नहीं है, बल्कि एंड्रोलॉजी और माइक्रो सर्जरी में भी इसका व्यापक इस्तेमाल संभव है।’डॉक्टरों की इस अग्रणी उपलब्धि के पीछे यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. उत्तम मेटे और पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल का पूर्ण सहयोग और प्रोत्साहन रहा।

क्या होती है वेसोवासोस्टॉमी?

वेसोवासोस्टॉमी एक नाजुक माइक्रो सर्जरी होती है, जिसमें नसबंदी के दौरान काटे गए वास डिफरेंस को दोबारा जोड़ा जाता है ताकि पुरुष की प्रजनन क्षमता वापस आ सके। आमतौर पर यह ऑपरेशन माइक्रोस्कोप से किया जाता है, लेकिन इस बार रोबोट तकनीक के जरिए किया गया, जो अपने आप में एक क्रांतिकारी बदलाव है।

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