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Delhi AQI: दिल्ली में लगातार तीसरे दिन वायु गुणवत्ता ‘गंभीर' श्रेणी में, ग्रैप-3 प्रतिबंध लागू

Delhi AQI: वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 411 दर्ज किया गया
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दिल्ली में विकास मार्ग पर धुंध के बीच वाहन चलते रहे। दिल्ली शुक्रवार को जीआरएपी चरण III प्रतिबंधों के लिए जाग गई, क्योंकि शहर की वायु गुणवत्ता तीसरे के लिए गंभीर श्रेणी में रही। लगातार दिन, प्रदूषण के स्तर पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। पीटीआई फोटो
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नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा)

Delhi AQI: राष्ट्रीय राजधानी में लगातार तीसरे दिन वायु गुणवत्ता (AQI) ‘‘गंभीर'' श्रेणी में दर्ज की गई, जिसके कारण चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) के तीसरे चरण को शुक्रवार को लागू कर दिया गया। ‘समीर' ऐप के अनुसार, राजधानी में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 411 दर्ज किया गया जो ‘गंभीर' श्रेणी में आता है।

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इससे पहले लगातार 14 दिन तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब' श्रेणी में रही। राजधानी में वायु गुणवत्ता के लगातार खराब होने के कारण प्राधिकारियों को प्रदूषण रोधी योजना के तीसरे चरण के तहत तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लागू करने पड़े। दिल्ली-एनसीआर के लिए ग्रैप को वायु गुणवत्ता के चार चरणों में विभाजित किया गया है - चरण 1 ‘‘खराब'' वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के लिए जो 201 से 300 के बीच है। चरण 2 ‘‘बहुत खराब'' एक्यूआई (301-400) के लिए, चरण 3 ‘‘गंभीर'' एक्यूआई (401-450) के लिए और चरण 4 ‘‘बेहद गंभीर'' एक्यूआई (450 से अधिक) के लिए होता है।

निर्माण गतिविधियों पर पाबंदी लगाई गई

ग्रैप के तीसरे चरण के तहत दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निर्माण गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके तहत, एनसीआर से लगते राज्यों से आने वाली सभी अंतरराज्यीय बसों के यहां आने पर प्रतिबंध है। केवल इलेक्ट्रिक वाहनों, सीएनजी वाहनों और बीएस-4 और डीजल बसें ही यहां प्रवेश कर सकती हैं। इसके साथ ही निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर भी कड़ा प्रतिबंध लगाया गया है।

पांचवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था

ग्रैप के तीसरे चरण के तहत पांचवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था की गई है और प्रमुख सड़कों पर रोजाना पानी का छिड़काव किया जाएगा। इस बीच, दिल्ली के 39 निगरानी स्टेशन में से कुल 27 स्टेशन ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया, जहां एक्यूआई 400 से अधिक रहा। अलीपुर, आनंद विहार, अशोक विहार, आया नगर, बवाना, सीआरआरआई मथुरा रोड, आईजीआई हवाईअड्डा, आईटीओ, जहांगीरपुरी, मंदिर मार्ग, मुंडका, नजफगढ़, नेहरू नगर, नॉर्थ कैंपस, ओखला फेज 2, पटपड़गंज, पंजाबी बाग, पूसा, आरके पुरम, रोहिणी और कई अन्य स्थानों पर एक्यूआई 400 से अधिक दर्ज किया गया।

रात का तापमान सामान्य से 2.6 डिग्री सेल्सियस अधिक

मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली में इस मौसम का सबसे कम न्यूनतम तापमान (रात का तापमान) 15.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2.6 डिग्री अधिक था। इसने बताया कि राजधानी में घना कोहरा छाया रहा, जिससे शुक्रवार को सुबह सात बजे सफदरजंग में दृश्यता घटकर 400 मीटर रह गई। दिल्ली में सुबह साढ़े आठ बजे आर्द्रता का स्तर 98 प्रतिशत दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने बताया कि राजधानी में दिन में घना कोहरा छाए रहने तथा अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। पिछले दो दिनों से दिल्ली की वायु गुणवत्ता देश में सबसे खराब रही।

चंडीगढ़ में वायु गुणवत्ता बेहद खराब

केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और हरियाणा के कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता शुक्रवार को ‘बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब में स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ‘समीर ऐप' के अनुसार, चंडीगढ़ में सुबह 10 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 327 दर्ज किया गया। हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में बृहस्पतिवार को एक्यूआई ‘गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया था। हरियाणा के कई हिस्सों में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब' श्रेणी में रही।

सीपीसीबी के समीर ऐप पर सुबह 10 बजे उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, गुरुग्राम में एक्यूआई 323, भिवानी में 346, बल्लभगढ़ में 318, जींद में 318, करनाल में 313, कैथल में 334 और सोनीपत में 304 था। पंजाब के अमृतसर में एक्यूआई 225, लुधियाना में 178, मंडी गोबिंदगढ़ में 203, रूपनगर में 228 और जालंधर में 241 दर्ज किया गया।

एक्यूआई 0-50 के बीच ‘अच्छा', 51-100 के बीच ‘संतोषजनक', 101-200 के बीच ‘मध्यम', 201-300 के बीच ‘खराब', 301-400 के बीच ‘बेहद खराब' और 401-500 के बीच रहने पर ‘गंभीर' श्रेणी में माना जाता है। अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने का कारण माना जाता है। चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल, गेहूं, की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान खेत को जल्द से जल्द साफ करने के लिए पराली यानी फसल के अवशेष जला देते हैं।

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