दीपेंद्र हुड्डा का तीखा हमला, कहा- BJP-INLD के नापाक गठबंधन का भंडाफोड़, ये सभी एक थाली के चट्टे-बट्टे
रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा और इनेलो के नापाक गठबंधन का भांडाफोड हो चुका है। गोपाल कांडा ने रहस्योद्घाटन किया कि खट्टर की मेहरबानी, भाजपा और कांडा की मदद से अभय चौटाला के बेटे रानियां से विधायक बने। गोपाल कांडा के बयान से भाजपा और इनेलो के पर्दे के पीछे के घिनौने राजनीतिक षड्यंत्र का पर्दाफाश हो गया है। सच्चाई हरियाणा की जनता के सामने आ गई है।
दीपेंद्र ने कहा कि इनेलो को जब भी मौका लगा है उसने भाजपा की गोद में बैठने में एक पल की भी देरी नहीं की। इनके गुप्त गठबंधन और षड्यन्त्र ने किसानों, मजदूरों, नौजवानों समेत हर वर्ग के साथ धोखा किया है। हरियाणा में बहुत बड़ा राजनीतिक स्कैन्डल अंजाम दिया है। रोहतक सांसद वीरवार को नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस मौके पर हिसार सांसद जयप्रकाश ‘जेपी’, सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी, अंबाला सांसद वरुण चौधरी, नारनौंद विधायक जस्सी पेटवाड़, व कलायत विधायक विकास सहारण भी मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि बीजेपी, इनेलो, जजपा, हलोपा में कोई फर्क नहीं है, ये सभी एक थाली के चट्टे-बट्टे हैं। भाजपा ने हर चुनाव में इन्हीं बी-टीमों के सहारे मतदाताओं को धोखा दिया है। यही कारण है कि हरियाणा की राजनीति में इनेलो, जजपा, हलोपा का सफाया हो चुका है। वे तो पहले से ही इस बात को लगातार कहते रहे हैं कि इनेलो भाजपा की पक्की कठपुतली है। विधानसभा चुनाव में इनेलो का भाजपा के साथ 3 सीटों का गुप्त समझौता था।
ऐलनाबाद, डबवाली व रानियां विधानसभा सीट पर भाजपा इनेलो उम्मीदवारों के साथ थी और बाकी सभी सीटों पर इनेलो भाजपा के साथ। इसी तरह राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ वोट देने के लिए कुछ लोग बीजेपी से मिले हुए थे, जिसका खुलासा कुछ समय पूर्व हुआ था और आज एक और सच जनता के सामने आ गया। इस तरह के षड्यंत्रकारियोंके कारण ही बीजेपी सत्ता पर काबिज हुई, जबकि हरियाणा की जनता सत्ता परिवर्तन चाहती थी।
2014 में इनेलो की 20 सीट आई थी, लेकिन 2019 के चुनाव में इनेलो 20 से घटकर 1 पर आ गई। इनेलो ने 5 साल तक विपक्ष की भूमिका निभाने की बजाय सत्ता पक्ष को खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। जब और जहां मौका लगा इनेलो ने बीजेपी का समर्थन किया। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस द्वारा हरियाणा की भाजपा सरकार के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के हक में वोट न डालना पड़े, इसलिए चौटाला ने अपनी एकमात्र सीट से इस्तीफा दिया।