अहमदाबाद, 18 फरवरी (एजेंसी)
अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने शहर में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में 38 दोषियों को शुक्रवार को मौत की सजा सुनायी। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गयी थी और 200 से अधिक घायल हो गए थे। अदालत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के प्रावधानों ओर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत 49 दोषियों में से 38 को मौत की सजा सुनायी। बाकी के 11 दोषियों को मौत तक उम्रकैद की सजा सुनायी गयी।
न्यायाधीश एआर पटेल ने धमाकों में मारे गए लोगों को एक-एक लाख रुपये तथा गंभीर रूप से घायलों में से प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये तथा मामूली रूप से घायलों को 25-25 हजार रुपये मुआवजा देने को कहा। 48 दोषियों में से प्रत्येक पर 2.85 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
गौरतलब है कि शहर में सिविल अस्पताल, नगर निगम के एलजी हॉस्पिटल, बसों, पार्किंग में खड़ी मोटरसाइकिलों, कारों तथा अन्य स्थानों पर 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट मेंे 21 धमाके हुए थे। अदालत ने पिछले साल सितंबर में 77 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई पूरी की थी। कुल 78 आरोपियों में से एक सरकारी गवाह बन गया था। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़े 77 लोगों के खिलाफ दिसंबर 2009 में मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई थी। एक वरिष्ठ सरकारी वकील ने बताया कि बाद में चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनका मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है।
इन धमाकों के अगले कुछ दिनों बाद सूरत में 29 और बम मिले थे, लेकिन उनमें से किसी में भी विस्फोट नहीं हुआ था। पुलिस ने दावा किया था कि प्रतिबंधित स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक धड़े आईएम के सदस्य इन धमाकों के पीछे थे। गोधरा दंगों का बदला लेने के लिए धमाकों की योजना बनायी गयी थी।
पहली बार इतने दोषियों को मौत की सजा
लोक अभियोजक अरविंद पटेल ने पत्रकारों को बताया कि अदालत ने 7,000 से अधिक पन्नों के फैसले में मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम बताया। जिनको मौत की सजा सुनाई गई उनमें सफदर नागौरी, कयुमुद्दीन कपाड़िया, जाहिद शेख, कमरुद्दीन नागौरी और शम्शुद्दीन शेख भी शामिल हैं। लोक अभियोजक ने कहा, ‘मैं कह सकता हूं कि यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें सबसे अधिक संख्या में दोषियों को मौत की सजा सुनाई गयी। इससे पहले एक मामले में 26 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी।’ अहमदाबाद में साबरमती केंद्रीय कारागार, दिल्ली में तिहाड़, भोपाल, गया, बेंगलुरू, केरल और मुंबई समेत 8 अलग-अलग जेलों में बंद सभी दोषी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के वक्त मौजूद रहे।