Dadi-Nani Ki Baatein : नौतपा के आखिरी दिन सूरज जितना जलाएगा उतनी ही ज्यादा बारिश होगी... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 8 जून (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Baatein : आज नौतपा के दिन खत्म हो जाएंगे। ऐसा कहा जाता है कि नौतपा के आखिरी दिन जितनी गर्मी हो, उतनी ज्यादा वर्षा होगी। यह बात अक्सर दादी-नानी या गांव के बुजुर्ग कहते हैं। सूरज जलाए तभी बादल लहराए... यह कहावत जितनी साधारण लगती है, उतनी ही वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
क्या होता है "नौतपा"?
‘नौतपा’ संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ दिन की तपन या गर्मी। हर साल ज्येष्ठ माह में सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, उस दिन से नौतपा की शुरुआत मानी जाती है। यह समय सामान्यतः 25 मई से 3 जून के बीच आता है। इस दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लगभग सीधी पड़ती हैं, जिससे गर्मी चरम पर होती है।
भारतीय पंचांग के अनुसार, सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। यह नौ दिन वातावरण में व्यापक ऊष्मा उत्पन्न करता है, जो आगे आने वाले मानसून के लिए एक तरह से "भूमिका" तैयार करता है।
दादी-नानी ऐसा क्यों कहती हैं?
दादी-नानी की बातें केवल परंपरा नहीं बल्कि पीढ़ियों की मौसमीय समझ और पर्यावरणीय चक्र का परिणाम होती हैं। ग्रामीण जीवन प्रकृति के साथ गहराई से जुड़ा होता है। वहाँ खेती, पशुपालन और दैनिक जीवन वर्षा पर निर्भर होते हैं। वर्षों का अनुभव यह दर्शाता है कि अगर नौतपा के अंतिम दिन तक तपिश बनी रहती है, तो यह एक तरह से "इशारा" है कि वर्षा ऋतु में धरती और वातावरण तैयार हो चुके हैं।
अगर नौतपा के अंतिम दिन मौसम ठंडा या बादली हो तो इसका अर्थ यह निकाला जाता है कि मानसून कमजोर या विलंबित हो सकता है। दादी-नानी की यह कहावत एक तरह से किसानों को मानसून की पूर्व सूचना देने का संकेत भी है, ताकि वे अपने खेती-किसानी के निर्णय उसी अनुसार ले सकें।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक ?
वाष्पीकरण (Evaporation) की प्रक्रिया तेज हो जाती है। समुद्र, नदियां, झीलें और धरती की सतह से पानी अधिक मात्रा में वाष्पित होता है। इससे वातावरण में नमी (Humidity) बढ़ती है, जो मानसून के बादलों को बनने और टिकने के लिए जरूरी तत्व है। गर्मी के कारण वायुमंडल की ऊपरी परतों में दबाव में बदलाव आता है, जिससे हवाओं की दिशा बदलती है और मानसून की चाल मजबूत होती है।
अगर नौतपा के अंतिम दिनों तक गर्मी बरकरार रहती है, तो इसका मतलब यह होता है कि वातावरण में पर्याप्त ऊष्मा और नमी है, जो कि अच्छी वर्षा का संकेत है। विज्ञान के अनुसार, जितनी अधिक ऊष्मा और नमी वातावरण में होती है, उतनी ही अधिक संभावना होती है कि मानसून ज़ोरदार आएगा।
"नौतपा के आखिरी दिन जितनी गर्मी हो, उतनी ज़्यादा वर्षा होगी" - यह कहावत केवल एक लोक विश्वास नहीं है बल्कि इसमें छिपा है प्रकृति की गहरी समझ और पर्यावरण के चक्र का वैज्ञानिक संकेत। यह हमें सिखाती है कि परंपरा और विज्ञान एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।