Crime Against Women : पत्नी की पिटाई व तेजाब पीने को मजबूर करने का मामला, अदालत ने पति समेत तीन लोगों को ठहराया दोषी
Crime Against Women : पत्नी की पिटाई व तेजाब पीने को मजबूर करने का मामला, अदालत ने पति समेत तीन लोगों को ठहराया दोषी
नई दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा)
Crime Against Women : दिल्ली की एक अदालत ने 2019 में एक महिला को तेजाब पीने के लिए मजबूर करने के आरोपी दो लोगों को दोषी ठहराया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ट्विंकल वाधवा ने महिला के पति को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध के लिए दोषी ठहराया और कहा कि यह साबित हुआ है कि उसने उसे बेल्ट से पीटा था।
अदालत महिला के पति शमीन, सास हसीना और ननद शबनम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 326 ए (स्वेच्छा से तेजाब का इस्तेमाल करके गंभीर चोट पहुंचाना आदि) के तहत दर्ज मामले की सुनवाई कर रही थी। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि शमीन ने अपनी पत्नी की पिटाई की, जिसके बाद अन्य लोगों ने उसे 5 मार्च, 2019 को तेजाब पीने के लिए मजबूर किया।
अदालत ने 14 फरवरी को अपने फैसले में कहा कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दोहराते हुए अपनी पीड़ा और संबंधित घटनाओं को स्पष्ट रूप से सुनाया। अदालत सजा पर फैसला 12 मार्च को सुनाएगी। अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि महिला के ‘मेडिको-लीगल' मामले में कोई बाहरी चोट नहीं दिखाई।
अदालत ने कहा, ‘‘बेल्ट से पिटाई से काफी दर्द और आघात हो सकता है, लेकिन इस्तेमाल किए गए बल, प्रभाव और व्यक्ति की त्वचा की संवेदनशीलता के आधार पर, बाहरी चोटें दिखाई नहीं भी दे सकती हैं।'' अदालत ने कहा, ‘‘उसके बयान में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे अदालत यह निष्कर्ष निकाल सके कि वह सच नहीं बोल रही है।''
बचाव पक्ष के वकील ने यह भी तर्क दिया कि घटना के दो दिन बाद शिकायतकर्ता ने जांच अधिकारी को हाथ से लिखे बयान में उल्लेख किया कि उसने गुस्से में गलती से तेजाब पी लिया था। यह भी दलील दी गई कि पति के परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे आरोप अप्रैल 2019 में लगाए गए, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह भी दलील दी गई कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने झूठी गवाही दी थी, लेकिन अदालत ने सभी दलीलों को खारिज कर दिया।