मुंबई, 18 मई (एजेंसी)
भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) बी.आर. गवई ने रविवार को स्पष्ट किया कि न तो न्यायपालिका, न कार्यपालिका और न ही संसद, बल्कि भारत का संविधान सर्वोच्च है और इसके स्तंभों को मिलकर काम करना चाहिए। जस्टिस गवई ने संविधान की सर्वोच्चता को रेखांकित करते हुए कहा कि भले ही संसद के पास संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को नहीं छू सकती।
उन्होंने ‘बुलडोजर न्याय’ का जिक्र करते हुए कहा कि आश्रय का अधिकार भी सर्वोच्च है। चाहे कोई व्यक्ति किसी अपराध का आरोपी हो या दोषी हो, अगर परिवार का घर कानूनी रूप से लिया गया है, तो उसे हटाया या ध्वस्त नहीं किया जा सकता। इस सप्ताह की शुरुआत में 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस गवई ने यहां बार काउंसिल महाराष्ट्र एवं गोवा द्वारा आयोजित उनके अभिनंदन समारोह तथा वकीलों के सम्मेलन को संबोधित किया। सीजेआई ने कहा कि संविधान का मूल ढांचा सिद्धांत के तहत आने वाले प्रावधानों को संसद द्वारा संविधान संशोधन के माध्यम से संशोधित या निरस्त नहीं किया जा सकता है, जिनमें संविधान की सर्वोच्चता, कानून का शासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता समेत अन्य शामिल हैं।