नयी दिल्ली, 10 अक्तूबर (एजेंसी)
कोयला मंत्रालय ने रविवार को स्पष्ट किया कि बिजली उत्पादक संयंत्रों की जरूरत पूरी करने के लिए देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है। मंत्रालय ने कोयले की कमी की वजह से बिजली आपूर्ति में बाधा की आशंकाओं को पूरी तरह निराधार बताया।
इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि कोयले की कमी की वजह से देश में बिजली संकट पैदा हो सकता है। इसके बाद मंत्रालय का यह बयान आया है। कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट किया, ‘देश में कोयले के उत्पादन और आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की। मैं सभी को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि बिजली आपूर्ति में बाधा की कोई आशंका नहीं है। कोल इंडिया के मुख्यालय पर 4.3 करोड़ टन कोयले का भंडार है, जो 24 दिन की मांग के बराबर है।’ मंत्रालय ने कहा कि बिजली संयंत्रों के पास करीब 72 लाख टन का कोयला भंडार है, जो 4 दिन के लिए पर्याप्त है। कोल इंडिया के पास 400 लाख टन का भंडार है जिसकी आपूर्ति बिजली संयंत्रों को की जा रही है।
देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन इस साल सितंबर तक 24 प्रतिशत बढ़ा है। बिजली संयंत्रों को प्रतिदिन औसतन 18.5 लाख टन कोयले की जरूरत होती है। दैनिक कोयला आपूर्ति करीब 17.5 लाख टन की है।
बिजली खपत में 7.2 करोड़ यूनिट की कमी
बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बिजली की खपत शनिवार को लगभग 2 प्रतिशत या 7.2 करोड़ यूनिट घटकर 382.8 करोड़ यूनिट रही, जो शुक्रवार को 390 करोड़ यूनिट थी। इसके चलते कोयले की कमी के बीच देशभर में बिजली की आपूर्ति में सुधार हुआ। बिजली मंत्रालय ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा कोयले की कुल आपूर्ति 15.01 लाख टन प्रतिदिन तक पहुंच गई। इस कारण खपत और वास्तविक आपूर्ति के बीच अंतर कम हो गया। कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया ने आश्वासन दिया है कि वे अगले 3 दिन में बिजली क्षेत्र में कोयले की आपूर्ति बढ़ाकर 16 लाख टन प्रतिदिन करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं, उसके बाद इसे बढ़ाकर 17 लाख टन प्रतिदिन किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में घटा बिजली उत्पादन : उत्तर प्रदेश में बिजली उत्पादन के लिए कोयले का संकट गहराता जा रहा है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने रविवार को बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकारी विद्युत इकाइयों में कोयले की जबर्दस्त कमी से बिजली उत्पादन बहुत कम हो गया है। उधर, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र कोयला संकट होने की बात स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने की उसकी नीति देश के लिए घातक साबित हो सकती है।