पंजाब की उधार सीमा पर चली केंद्र की कैंची
रुचिका एम खन्ना/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 20 मई
केंद्र सरकार ने पंजाब की उधार सीमा में भारी कटौती की है। राज्य सरकार द्वारा मांगी गई 47,076.40 करोड़ रुपये की उधार सीमा के मुकाबले 16,676 करोड़ रुपये का कट लगा दिया गया है।
राज्य सरकार को इस बारे में सूचित कर दिया गया है और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा रिजर्व बैंक को भी एक पत्र भेजा गया है। पंजाब को चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) के लिए 18605 करोड़ रुपये, जबकि पूरे वित्त वर्ष के दौरान 21,905 करोड़ रुपये खुले बाजार से उधार लेकर जुटाने की मंजूरी दी गई है।
ट्रिब्यून को पता चला है कि यह कटौती, बकाया बिजली सब्सिडी (5444 करोड़ रुपये), बिजली सब्सिडी के एरियर (4107 करोड़), बिजली क्षेत्र से जुड़ी अतिरिक्त उधारी (4151.60 करोड़) और पिछले साल की बिजली क्षेत्र आधारित उधारी (1976 करोड़) के कारण की गई है। वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि यह कटौती राज्य के लिए ‘वित्तीय रूप से गला घोंटने’ के समान है, खासकर ऐसे समय में जब केंद्र पहले से ही ग्रामीण विकास निधि जैसे पंजाब के बकाया पर कटौती कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘राज्य ने पहले ही सहमति दे दी थी और समेकित कोष के माध्यम से फंड भेजना शुरू कर दिया था। इसके बावजूद, राज्य पर वित्तीय कटौती की जा रही है, जो पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है।’ उल्लेखनीय है कि 2025-26 के अंत तक राज्य का बकाया ऋण 4.17 लाख करोड़ रुपये होगा। खुले बाजार से उधारी की नयी सीमा का लगभग 92 प्रतिशत हिस्सा राज्य के पुराने ऋणों के भुगतान में खर्च किया जाएगा।