नयी दिल्ली, 13 सितंबर (एजेंसी)
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि इस्राइली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिये कथित जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर वह विस्तृत हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती। केंद्र के इस रुख को देखते हुए अदालत ने कहा कि वह अंतरिम आदेश देगी। चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। अंतरिम आदेश दिया जाएगा, जिसमें 2 से 3 दिन का वक्त लगेगा। यदि आप इस बारे में पुन: विचार करते हैं तो बता सकते हैं।’
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने पीठ से कहा कि सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित जानकारी को हलफनामे का हिस्सा बनाना राष्ट्रहित में नहीं होगा। मेहता ने कहा कि विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और यही वजह है कि उसने अपनी ओर से कहा कि आरोपों की जांच के लिए वह क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति का गठन करेगी। इस पर पीठ ने कहा, ‘आप बार-बार कह रहे हैं कि सरकार हलफनामा दायर नहीं करना चाहती। हम भी नहीं चाहते कि सुरक्षा संबंधी मुद्दे हमारे समक्ष रखे जाएं। आपने कहा कि एक समिति बनाई जाएगी और रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। हमें तो पूरे मुद्दे को देखना है और अंतरिम आदेश देना है।’
सॉफ्टवेयर का अवैध उपयोग किया या नहीं?
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं? साथ ही दोहराया कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी मामले की जानकारी प्राप्त करने की इच्छुक नहीं है। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह लगातार राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपनी दलील को दोहरा रहे हैं। पीठ ने कहा, ‘कानून के तहत स्थापित एक प्रक्रिया है, जो फोन सुनने की भी अनुमति देती है। आपके रुख को समझने के लिए हमें आपका हलफनामा चाहिए था। हम इससे आगे कुछ और नहीं कहना चाहते। अगर सरकार किसी जासूसी सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है, तो यह कानून के तहत स्थापित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए। हम केवल एक सीमित हलफनामे की उम्मीद कर रहे थे, क्योंकि हमारे सामने याचिकाकर्ता हैं, जिनका कहना है कि ए या बी एजेंसी द्वारा उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। आपको ये बताना होगा कि ऐसा किया गया या नहीं?’
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठन की रिपोर्ट पर उठा था मामला इससे पहले केंद्र ने एक संक्षिप्त हलफनामा दायर कर कहा था कि याचिकाएं ‘अनुमानों या अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अधूरी, अपुष्ट सामग्री’ पर आधारित हैं। गौर हो कि ये याचिकाएं, सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की पेगासस स्पाईवेयर के जरिये कथित जासूसी की खबरों से संबंधित हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठन ने कहा था कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था।