नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (एजेंसी)
देश में अगली जनगणना के दौरान जातिवार गणना भी की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को इस अहम फैसले पर मुहर लगाई। जाति गणना की मांग को चुनावी मुद्दे बना रहे विपक्ष ने इसे ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत करार दिया। चुनावी राज्य बिहार में भाजपा के सहयोगी दलों जदयू और लोजपा (रामविलास) ने इसे राष्ट्रहित में ऐतिहासिक कदम बताया।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकारक्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जातिगत गणना ‘गैर-पारदर्शी’ तरीके से की, जिससे समाज में संदेह पैदा हुआ है। केंद्रीय मंत्री ने रेखांकित किया कि देश की आजादी के बाद से अब तक की सभी जनगणनाओं में जाति को बाहर रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जाति गणना का विरोध किया और इस मुद्दे का इस्तेमाल ‘राजनीतिक हथियार’ के रूप में किया। वैष्णव ने कहा, ‘इन सभी तथ्यों पर विचार करते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति के कारण सामाजिक ताना-बाना प्रभावित न हो, सर्वेक्षणों के बजाय जाति गणना को पारदर्शी तरीके से जनगणना में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।’ उन्होंने कहा कि इससे हमारे समाज का सामाजिक, आर्थिक ढांचा मजबूत होगा और राष्ट्र भी प्रगति करता रहेगा। मंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति आधारित सर्वेक्षण किए हैं।
गौर हो कि कांग्रेस सहित विपक्षी दल देशव्यापी जाति गणना कराने की मांग करते रहे हैं। विपक्षी ‘इंडिया’ ने पिछले चुनावों में इसे एक प्रमुख मुद्दा बनाया था। तत्कालीन महागठबंधन सरकार के दौरान बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ गैर-भाजपाई राज्यों में जाति आधारित सर्वेक्षण भी कराए गये।
देश में हर 10 साल के अंतराल पर होने वाली जनगणना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
कांग्रेस ने कहा- देर आए, दुरुस्त आए : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी के अहमदाबाद अधिवेशन के प्रस्ताव के कुछ अंश साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘सामाजिक न्याय को लेकर यह बात कांग्रेस के हालिया प्रस्ताव में कही गयी थी। देर आए, दुरुस्त आए।’ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि विपक्ष के दबाव में आकर भाजपा यह निर्णय लेने को बाध्य हुई। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई में यह पीडीए की जीत का एक अति महत्वपूर्ण चरण है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा, ‘दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जाति गणना कराने का निर्णय लिया था, जिस पर बाद की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया।... जाति गणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला।’ एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘इसकी तत्काल आवश्यकता थी और यह कई समूहों की लंबे समय से लंबित मांग थी।’
सरकार तारीख बताए : राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘संसद में हमने कहा था कि जाति जनगणना करवा के रहेंगे...नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि सिर्फ चार जातियां हैं। लेकिन पता नहीं क्या हुआ कि 11 साल बाद इसकी घोषणा की गई। हम इसका समर्थन करते हैं, लेकिन इसमें समयसीमा होनी चाहिए...हमें तिथि बताई जाए।’ राहुल गांधी का कहना था कि सरकार को यह भी बताना चाहिए कि यह जातिगत गणना किस प्रकार से होगी। उन्होंने कहा कि तेलंगाना का जातिगत सर्वेक्षण जातिगत गणना का एक मॉडल है। उन्होंने आरक्षण सीमा भी 50 प्रतिशत से ज्यादा करने की फिर वकालत की।
गन्ने का मूल्य 4.41% बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल किया गया
केंद्र सरकार ने अक्तूबर से शुरू होने वाले आगामी 2025-26 सत्र के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 4.41 प्रतिशत बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया। केंद्र सरकार एफआरपी तय करती है, जो अनिवार्य न्यूनतम मूल्य है। चीनी मिलें गन्ना किसानों को उनकी उपज के लिए यह मूल्य देने को कानूनी रूप से बाध्य हैं। कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों और राज्य सरकारों तथा अन्य हितधारकों से परामर्श के आधार पर एफआरपी को तय किया गया है।