नयी दिल्ली, 7 जुलाई (एजेंसी)
महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा सांसद एवं भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को 18 जुलाई को तलब किया है। अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने यह निर्देश दिया। भारतीय कुश्ती महासंघ के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को भी कोर्ट में पेश होेने के लिए कहा गया है।
जज ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज पीड़ितों के बयानों को देखने से पता चलता है कि आरोप विशिष्ट प्रकृति के हैं और इनसे आईपीसी के प्रावधानों के तहत अपराध का संदेह होता है। अभियोजन पक्ष के गवाहों की सूची दाखिल कर दी गई है। उन्होंने कहा, ‘दलीलें सुनने के बाद और पुलिस रिपोर्ट, उसके साथ संलग्न दस्तावेजों पर ध्यानपूर्वक विचार करने के बाद यह अदालत आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज अपराधों का संज्ञान लेती है। इन दस्तावेजों में पीड़ितों, अन्य गवाहों और अन्य मौखिक तथा दस्तावेजी साक्ष्य आदि शामिल हैं।’
जज ने कनॉट प्लेस थाने के प्रभारी को दोनों आरोपियों के खिलाफ समन को तामील कराने का निर्देश दिया। जज ने कहा कि वह इस बात पर गौर करते हुए कि दोनों आरोपी दिल्ली में ही रहते हैं, उन्हें अदालत में पेश होने के लिए कम समय दे रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज था। तोमर पर भी कई अरोप लगाए गए हैं। ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और ओलंपियन विनेश फोगाट ने बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अन्य पहलवानों के साथ आंदोलन किया था।
नाबालिग को याचिका वापस लेने की अनुमति
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नाबालिग पहलवान को बृजभूषण के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है। यह पहलवान उन 7 महिला पहलवानों में से एक है, जिन्होंने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। नाबालिग के वकील ने कोर्ट में कहा कि निचली अदालत के समक्ष दिल्ली पुलिस द्वारा दायर निरस्तीकरण रिपोर्ट के मद्देनजर हाईकोर्ट में याचिका निरर्थक हो गई है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका वापस ली गई मानकर खारिज की जाती है।