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Atul Subhash Case : 'बच्चे के लिए अजनबी': अतुल की मां को पोते की अभिरक्षा देने से कोर्ट का इनकार

मुझे यह कहते हुए खेद हो रहा है कि बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है
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वीडियो ग्रैब।
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नई दिल्ली, 7 जनवरी (भाषा)

Atul Subhash Case : सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के कथित उत्पीड़न के कारण अपनी जान देने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की मां को पोते की अभिरक्षा देने से इनकार करते हुए कहा कि वह (अतुल की मां) 'बच्चे के लिए अजनान हैं। न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि बच्चे की अभिरक्षा का मुद्दा निचली अदालत के समक्ष उठाया जा सकता है।

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पीठ ने कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुए खेद हो रहा है कि बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है। यदि आप चाहें तो कृपया बच्चे से मिल लें। यदि आप बच्चे की अभिरक्षा चाहती हैं तो इसके लिए एक अलग प्रक्रिया है।''34 वर्षीय सुभाष नौ दिसंबर, 2024 को बेंगलुरु के मुन्नेकोलालू में अपने घर में फंदे से लटके पाए गए थे। उन्होंने कथित तौर पर लंबे संदेश छोड़े थे, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था। शीर्ष अदालत सुभाष की मां अंजू देवी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपने चार वर्षीय पोते की अभिरक्षा मांगी थी।

सुनवाई के दौरान, अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने शीर्ष अदालत को बताया कि बच्चा हरियाणा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है। अधिवक्ता ने कहा, ‘‘हम बच्चे को बेंगलुरु ले जाएंगे। हमने बच्चे को स्कूल से निकाल लिया है। जमानत की शर्तों को पूरा करने के लिए (बच्चे की) मां को बेंगलुरु में ही रहना होगा।''

सुभाष की मां का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता कुमार दुष्यंत सिंह ने बच्चे की अभिरक्षा की मांग की और आरोप लगाया कि अलग रह रही उनकी बहू ने बच्चे का पता गुप्त रखा है। उन्होंने दलील दी 6 साल से कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के साथ बच्चे की अच्छी बातचीत को प्रदर्शित करने के लिए उस तस्वीर का हवाला दिया जब वह केवल 2 साल का था।

शीर्ष अदालत ने बच्चे को 20 जनवरी को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले का फैसला ‘मीडिया ट्रायल' के आधार पर नहीं किया जा सकता। बेंगलुरु की एक अदालत ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सुभाष की अलग रह रही पत्नी, उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को 4 जनवरी को जमानत दे दी।

सुभाष की मौत के बाद निकिता और उसके परिवार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) (सामान्य इरादा) के तहत बेंगलुरु में प्राथमिकी दर्ज की गई।

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