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‘मुफ्त सौगातों’ पर केंद्र और निर्वाचन आयोग से जवाब तलब

सुप्रीम कोर्ट ने अन्य याचिकाओं को भी किया संबद्ध
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नयी दिल्ली, 15 अक्तूबर (एजेंसी)

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सौगातों का वादा करने के चलन के खिलाफ एक नयी याचिका पर केंद्र तथा निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने बेंगलुरू निवासी शशांक जे. श्रीधारा की याचिका पर भारत सरकार तथा निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किए। वकील श्रीनिवास द्वारा दायर याचिका में निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को चुनाव से पहले मुफ्त सौगातें देने के वादे करने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है, ‘मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के बेलगाम वादे सरकारी राजकोष पर बड़ा और बेहिसाबी वित्तीय बोझ डालते हैं। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है कि चुनाव पूर्व किए वादे पूरे किए जाएं।’ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को इसी मुद्दे पर अन्य याचिकाओं से संबद्ध कर दिया। इससे पहले, न्यायालय चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा करने के चलन के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया था। वकील एवं जनहित याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लोकलुभावन उपायों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे संविधान का उल्लंघन करते हैं और निर्वाचन आयोग को उचित निवारक उपाय करने चाहिए। याचिका में कहा गया है, ‘चुनावों के मद्देनजर मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा कर मतदाताओं को प्रभावित करने की राजनीतिक दलों की हाल की प्रवृत्ति न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों बल्कि संविधान की भावना के लिए भी सबसे बड़ा खतरा है।’

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