अजय बनर्जी/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 16 जुलाई
लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बनाने पर भारत अमेरिका और फ्रांस के साथ एकसाथ जो चर्चा कर रहा है, वह अलग-अलग विमानों के लिए है। अमेरिकी मूल के जनरल इलेक्िट्रक एफ414 इंजन की तो तत्काल जरूरत है।
विमान निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ का उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार है। एचएएल का मुख्यालय बेंगलुरू में है। पिछले महीने रक्षा मंत्रालय ने तेजस मार्क 2 जेट के प्रोटोटाइप का परीक्षण शुरू करने की अनुमति दी थी। जनरल इलेक्िट्रक (जीई) परीक्षण प्रक्रिया के लिए पहले ही 8 इंजनों की आपूर्ति कर चुकी है।
अमेरिका के साथ डील पक्की हो गई है और भारत को मिलने वाली तकनीक पर भी दोनों पक्षों में सहमति हो गई है।
जीई और एचएएल ने पिछले महीने लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन की घोषणा की थी। यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के दौरान हुई थी।
फ्रांसीसी मूल के सेफरॉन इंजन के सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए इस परियोजना का उद्देश्य एक नया इंजन बनाना है, ऐसा इंजन जो फिलहाल दुनिया में कहीं भी उपयोग किए जा रहे किसी भी इंजन से अधिक शक्तिशाली हो।
इस परियोजना पर सेफरॉन और डीआरडीओ द्वारा एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है जो इस साल के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है। 110 किलो न्यूटन थ्रस्ट इंजन के लगभग 10 साल बाद तैयार होने की उम्मीद है।