Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Allahabad HC judgement : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के दृष्टिकोण पर जताई आपत्ति, बताया असंवेदनशील और अमानवीय

मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
सुप्रीम कोर्ट।
Advertisement

नई दिल्ली, 26 मार्च (भाषा)

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के बलात्कार संबंधी हालिया दृष्टिकोण पर कड़ी आपत्ति जताई। उसकी टिप्पणियों को पूर्णतः ‘‘असंवेदनशील'' व ‘‘अमानवीय दृष्टिकोण'' वाला बताते हुए इन पर रोक लगा दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के 17 मार्च के अपने एक आदेश में कहा था की महज स्तन पकड़ना और ‘पायजामे' का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता।

Advertisement

इसे 'बेहद गंभीर मामला' करार देते हुए न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में हम इस स्तर पर स्थगन देने में सुस्त हैं। चूंकि पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से पूरी तरह अलग हैं और पूरी तरह असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण वाली हैं, इसलिए हम उक्त टिप्पणियों पर स्थगन देने के लिए इच्छुक हैं। दरअसल ‘‘वी द वूमेन ऑफ इंडिया'' नामक संगठन हाईकोर्ट द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणियों को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के संज्ञान में लाया, जिसके बाद शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया।

हाईकोर्ट की विवादास्पद टिप्पणियों पर रोक लगाने का तात्पर्य यह है किसी तरह की विधिक प्रक्रिया में इनका आगे इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। हाईकोर्ट का आदेश दो व्यक्तियों द्वारा दायर एक याचिका पर आया था। इन आरोपियों ने कासगंज के विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी। कोर्ट की कार्यवाही प्रारंभ होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया। कहा, ‘‘यह एक ऐसा फैसला है जिस पर मैं बहुत गंभीर आपत्ति जताता हूं।''

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी भी इस मामले में पेश हुए। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। हमें न्यायाधीश के खिलाफ ऐसे कठोर शब्दों का प्रयोग करने के लिए खेद है। पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 17 मार्च के आदेश से संबंधित मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू की गई कार्यवाही में केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया।

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह अपना आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को बताएं, जिसके बाद इसे तुरंत वहां के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मामले की जांच करने और उचित कदम उठाने का आग्रह किया गया। पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

Advertisement
×