अनिमेष सिंह/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 15 जुलाई
गृह मंत्रालय की सभी राज्यों को जेल के कैदियों और उनसे मिलने आने वालों का आधार प्रमाणीकरण करने के लिए जारी की गई एडवाइजरी पर जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। ऐसे में गृहमंत्रालय ने अब एक बार फिर सभी राज्यों को निर्देश जारी किए हैं कि वे सभी संबंधित जेल अधिकारियों को इस प्रावधान के बारे में जानकारी प्रदान करें।
सूत्रों ने बताया कि यह प्रक्रिया इसलिए शुरू की गई, क्योंकि देशभर में कैदियों की बढ़ती आबादी के कारण अधिकारियों के लिए कैदियों और उनके आगंतुकों का रिकॉर्ड रखना मुश्किल हो रहा है।
इसके अलावा, आधार प्रमाणीकरण से जेल के कैदियों को विभिन्न लाभ और सुविधाएं प्रदान करने में भी मदद मिलेगी, जिनके वे हकदार हैं।
देश की जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या के कारण जेल अधिकारियों पर कैदियों का प्रबंधन करने और उनके रिकॉर्ड की पहचान करने का दबाव है और इस संदर्भ में, जेलों के कैदियों और अन्य हितधारकों की पहचान आज की आवश्यकता है। कैदियों के आधार आधारित सत्यापन के माध्यम से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। मंत्रालय ने देश की जेलों में कैदियों और उनसे मिलने आए लोगों के कल्याण के लिए आधार के इस्तेमाल को अधिसूचित किया है। इसके अनुसार, एनआईसी ने आधार सेवाओं को विकसित किया, उन्हें ई-प्रिजन प्रणाली के साथ एकीकृत किया और देश की 1378 जेलों में से 1309 जेलों में इसे लागू किया। सूत्रों ने बताया कि ई-जेल एकीकृत आधार सेवाओं का उपयोग कैदियों, उनके आगंतुकों की सटीक पुष्टि करने, जेल प्रणाली के भीतर पहचान धोखाधड़ी को कम करने और कैदियों के प्रबंधन से संबंधित प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए किया जा सकता है।
17 अक्तूबर, 2023 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह परामर्श जारी किया गया था, जिसमें उनसे अनुरोध किया गया था कि जेल के कैदियों और उनसे मिलने आने वालों के आधार प्रमाणीकरण की सुविधा का उपयोग करें। जेल अधिकारियों से यह भी अनुरोध किया गया था कि वे ई-जेल पोर्टल पर कैदियों की आईडी को उनके आधार नंबर से जोड़ें। इस महीने की शुरुआत में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और जेल महानिदेशकों को पत्र लिखकर अपने अधीनस्थ जेल अधिकारियों को इस प्रावधान से अवगत कराने काे कहा है।