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उन्नत नेविगेशन उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

इसरो का ऐतिहासिक 100वां मिशन
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श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से बुधवार तड़के नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 को लेकर उड़ान भरता इसरो का प्रक्षेपण यान। -प्रेट्र
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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 29 जनवरी (एजेंसी)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अपने ऐतिहासिक 100वें मिशन के तहत एक उन्नत नेविगेशन उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। बुधवार तड़के किया गया यह प्रक्षेपण इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन के नेतृत्व में पहला मिशन है। उन्होंने 13 जनवरी को पदभार संभाला था। इसके अलावा यह 2025 में इसरो का पहला मिशन है। इससे पहले, इसरो ने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था। इस प्रयोग के तहत 30 दिसंबर, 2024 को प्रक्षेपण किया गया था जो अंतरिक्ष एजेंसी का 99वां मिशन था।

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नारायणन ने कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि 2025 में इसरो का पहला प्रयास सफल रहा। उन्होंने सफल प्रक्षेपण के बाद कहा कि उपग्रह को ‘आवश्यक (जीटीओ) कक्षा में सटीकता से स्थापित किया गया। यह मिशन 100वां प्रक्षेपण है जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है।'

श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए 27.30 घंटे की उल्टी गिनती मंगलवार को शुरू हुई थी। उल्टी गिनती समाप्त होने के बाद स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ भू-समकालीन उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) अपनी 17वीं उड़ान में नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 को लेकर यहां दूसरे लॉन्च पैड से तड़के छह बजकर 23 मिनट पर प्रक्षेपित हुआ। यान ने लगभग 19 मिनट की यात्रा के बाद अपने पेलोड- एनवीएस-02 नेविगेशन उपग्रह को वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। यह नेविगेशन उपग्रह ‘नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन' (नाविक) शृंखला का दूसरा उपग्रह है, जिसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारतीय भूभाग से लगभग 1,500 किलोमीटर आगे के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करना है।

इससे पहले, 29 मई, 2023 को जीएसएलवी-एफ12 मिशन के तहत दूसरी पीढ़ी के पहले नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-01 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। इसरो ने कहा कि एनवीएस-02 उपग्रह स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन, कृषि संबंधी सटीक जानकारी देने, बेड़ा प्रबंधन, मोबाइल उपकरणों में स्थान आधारित सेवाएं देने, उपग्रहों के लिए कक्षा निर्धारण, ‘इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स' आधारित एप्लीकेशन और आपातकालीन सेवाओं में सहयोग करेगा। ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स' का तात्पर्य आपस में जुड़े उपकरणों के सामूहिक नेटवर्क और उपकरणों एवं क्लाउड के बीच संचार की सुविधा प्रदान करने वाली तकनीक से है।

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