नयी दिल्ली, 26 जुलाई (एजेंसी)
महंगाई एवं कुछ आवश्यक पदार्थों पर जीएसटी लगाए जाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों हंगामे के कारण मंगलवार को भी उच्च सदन में गतिरोध कायम रहा तथा आसन के समक्ष आकर नारेबाजी कर रहे 19 विपक्षी सदस्यों को शुक्रवार तक के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित सदस्यों में 7 तृणमूल कांग्रेस के, 6 द्रमुक के, 3 तेलंगाना राष्ट्र समिति के, 2 मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पाटी के और एक सदस्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का है।
पूर्वाह्न 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने के 10 मिनट के भीतर ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन को बताया कि कई सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर नियत कामकाज स्थगित कर तत्काल चर्चा कराने के लिए नोटिस दिए हैं लेकिन उन्होंने सभी नोटिस को अस्वीकार कर दिया है। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया। सभापति ने सदस्यों से कार्यवाही चलने देने की अपील की। अपील का असर न होते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। बारह बजे बैठक शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों ने अपनी मांग को लेकर पुन: हंगामा शुरू कर दिया और कुछ सदस्य आसन के समक्ष आ गए। हंगामे और नारेबाजी के बीच ही उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल चलाया। हालांकि इस दौरान भी कार्यवाही 15 मिनट के लिए बाधित हुई। प्रश्नकाल समाप्त होते ही हरिवंश ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
2 बजे जब उच्च सदन की बैठक शुरू हुई तो तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आ गये और नारेबाजी करने लगे। उपसभापति ने उन्हें नारेबाजी और पोस्टर दिखाने से मना किया और आगाह किया कि यदि वे अपना यह आचरण जारी रखते हैं तो वह (हरिवंश) इन सदस्यों का नाम लेने के लिए विवश हो जाएंगे। इसके बाद उपसभापति ने संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी मुरलीधरन को एक प्रस्ताव पढ़ने की अनुमति दी जिसमें कहा गया था कि सदन कुछ सदस्यों के कदाचार को बहुत ही गंभीरता से लेता है। उन्होंने कहा, नियम 256 के तहत इन सदस्यों को वर्तमान सप्ताह की शेष अवधि के लिए सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव किया जाता है। उपसभापति ने इस प्रस्ताव पर सदन की सहमति मांगी और सदन ने ध्वनिमत से इसे मंजूरी दे दी।
मतदान की नहीं मिली अनुमति : मतदान करने की विपक्ष की मांग हरिवंश ने यह कहकर खारिज कर दी कि जब तक नारेबाजी कर रहे सदस्य वापस अपने स्थान पर नहीं जाते, वह मतदान की अनुमति नहीं दे सकते। बार-बार के स्थगन के बाद अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने पौने 4 बजे बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी।