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अब भी दिलों को छूती हैं जीवन की सच्ची कहानियां

‘चमकीला’ की चमक
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हेमंत पाल

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जब फ़िल्में बनना शुरू हुई, तब बरसों तक गढ़ी कहानियों पर फ़िल्में बनाई जाती रही। इसके साथ राजा-महाराजाओं के किस्सों और धार्मिक कथाओं के आधार पर फ़िल्में बनाई गई। पर, वक्त के साथ इसमें बदलाव आते रहे। दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए नए-नए विषय खोजे गए। सामाजिक स्थितियों से उत्पन्न घटनाओं को कथानक का रूप देकर उसे फिल्माया जाने लगा। लेकिन, दर्शक की पसंद कभी एक जैसी नहीं रहती। कुछ दिनों में वह एक से कथानक जैसी फिल्मों से ऊबने लगता है। फिल्मकारों ने इसका भी उपाय खोजा और अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों से लोगों की नजरों में छाये लोगों पर फ़िल्में बनाई। इस तरह की बायोपिक फिल्मों को पसंद किया गया। अब फिल्मकार उसमें भी रोचक किरदारों के साथ घटनाएं ढूंढने लगे। क्योंकि, कई बायोपिक को दर्शकों ने नापसंद किया। इसके बाद कुछ सालों से सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्मों का चलन बढ़ा। सच्ची कहानियों पर फ़िल्में बनाना आसान नहीं है। साथ ही यह अनिश्चय वाला प्रयोग है, फिर भी ये दर्शकों को पसंद आ रहा है। इसलिए कि दर्शक घटना के सच से वाकिफ होना चाहते हैं। सच्ची घटनाओं पर बनी फिल्मों में गुंजन सक्सेना, छपाक के बाद '12वीं फेल' और 'अमर सिंह चमकीला' ने जिस तरह सफलता पाई, वो चमत्कृत करने वाली बात है। '12वीं फेल' ने एक औसत क्षमता वाले स्टूडेंट की जिद बताई जिसे अफसर बनना है। मुश्किल हालात के बावजूद वह आईपीएस बनता है। जबकि, 'अमर सिंह चमकीला' पंजाब के गायक पर बनी फिल्म है, जिसने 80 के दशक के इस गुमनाम हो चुके पंजाबी गायक को चारों तरफ फिर लोकप्रिय बना दिया, जो गायक अभी तक पंजाब तक सीमित था। वक़्त ने उसकी यादों को भी भुला भी दिया था, पर इस फिल्म के बाद वो देश-विदेश में पहचाना जाने लगा। फिल्म 'अमर सिंह चमकीला' को सिर्फ बायोपिक नहीं कहा जा सकता। ये पंजाब के लोक गायक अमर सिंह चमकीला के उत्थान और अंत से जुड़ी कहानी है। मुख्य किरदार निभाने वाले दिलजीत दोसांझ भी इस फिल्म से दर्शकों की आंख का तारा बन गए। इम्तियाज अली की इस फिल्म ने कहानी को बखूबी दर्शाया। इसमें पंजाब के लोगों के संगीत के शौक को फिल्माया। फिल्म में चमकीला की कमजोरियों को छिपाने की कोशिश नहीं की गई। उन पर गंदे गाने का आरोप लगा, तो उसे उसी तरह फिल्माया।

विक्की कौशल

युद्धकाल की सच्ची कहानियां पसंदीदा

सच्ची कहानियों वाली फिल्मों के इतिहास को कुरेदा जाए तो युद्धकाल के हालात पर ऐसी फ़िल्में ज्यादा बनी हैं। फिल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' (2020) देश की पहली महिला एयरफोर्स पायलट के जीवन और युद्ध क्षेत्र की एक घटना पर बनी है। फिल्म में जाह्नवी कपूर की मुख्य भूमिका है। 'शेरशाह' (2021) भी युद्ध की स्थितियों में बनी सफल फिल्म रही। इसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कारगिल युद्ध के शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा का किरदार निभाया व कियारा आडवाणी ने विक्रम की प्रेमिका डिम्पल का। 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' (2019) एक एक्शन फिल्म है। इसका कथानक 2016 में पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी लॉन्च पैड के खिलाफ भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर रचा गया है। इसमें विक्की कौशल, यामी गौतम के अभिनय को सराहा गया था। सनी देओल की 'बॉर्डर' (1997) की कहानी सत्य घटना से प्रेरित है।

फिल्म 'द गाजी अटैक' भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध की सच्ची घटनाओं पर बनी। 'मद्रास कैफे' श्रीलंका के तमिल उग्रवादियों के खिलाफ भारतीय सेना के हमले पर बनाई गई। अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी' (2019) भी सारागढ़ी की प्रसिद्ध लड़ाई (1897) पर बनी है। साल 2018 में आई 'राजी' जासूसी कथानक पर बनाई गई फिल्म है। 'सरबजीत' (2016) पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीत पर केंद्रित है।

क्रिकेट के कथानक पर भी फ़िल्में बनी

क्रिकेट और अन्य खेलों के कथानक पर कुछ बायोपिक बनी तो कुछ किसी सच्ची घटना पर। विश्वकप क्रिकेट में 1983 में भारतीय टीम की जीत पर 2021 में बनी फिल्म '83' को कप्तान कपिल देव पर केंद्रित किया गया। रणवीर सिंह ने कपिल देव का रोल किया था। 2016 में आई फिल्म 'एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी' भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान की जिंदगी के उतार चढ़ाव को दिखाया गया। सुशांत राजपूत ने एमएस धोनी का किरदार बखूबी निभाया है। आमिर खान की 'दंगल' (2016) भारतीय पहलवान गीता फोगाट, बबीता फोगाट और उनके पिता महावीर फोगाट के जीवन संघर्ष पर आधारित है।

सिद्धार्थ मल्होत्रा

साहसिक और सामाजिक घटनाओं पर बनी फ़िल्में

सच्ची साहसिक और सामाजिक घटनाओं पर भी फ़िल्में बनी और पसंद की गई। ऐसी ही एक फिल्म बनी 'नीरजा' जो बहादुर फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट की सच्ची कहानी पर है। वे 1986 के पैन अमेरिकन फ्लाइट हाईजैक के दौरान यात्रियों की रक्षा करते हुए मारी गई थी। इसके बाद 2020 में मेघना गुलजार के निर्देशन में फिल्म 'छपाक' को विषय बनाया गया जो एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित फिल्म है। इस फिल्म में दीपिका पादुकोण ने लक्ष्मी का किरदार निभाया। वहीं फिल्म 'मांझी: द माउंटेन मैन' (2015) ऐसी ही सच्ची प्रेम घटना पर बनाई गई है।

पसंद की गई कुछ अनोखी घटनाएं

'एयरलिफ्ट' (2016) फिल्म 1990 में इराक-कुवैत युद्ध में फंसे एक लाख 70 हजार भारतीयों को सुरक्षित निकालने की सच्ची कहानी है। फिल्म में प्रमुख भूमिका में अक्षय कुमार है। पटना के प्रसिद्ध गणितज्ञ आनंद कुमार के जीवन को दर्शाने वाली ऋतिक रोशन अभिनीत फिल्म सुपर-30 (2019) बायोपिक से ज्यादा प्रेरणादायक फिल्म है।

कहानियों में छापेमारी और वैश्या कथानक

सच्ची कहानियों पर बनी फिल्मों की सूची कभी ख़त्म नहीं होगी। फिल्म 'रेड' (2018) सच्ची कहानी पर आधारित है। इसमें अजय देवगन, सौरभ शुक्ला और इलियाना डिक्रूज ने काम किया हैं। यह फिल्म 80 के दशक में सरदार इंदर सिंह पर आयकर विभाग की वास्तविक छापेमारी पर आधारित है। साल 2018 में आई 'केदारनाथ' का कथानक सच्ची प्राकृतिक त्रासदी पर है। इसी में पनपती है एक प्रेम कथा। संजय लीला भंसाली की 'गंगूबाई काठियावाड़ी' (2022) गंगूबाई हरजीवनदास की सच्ची कहानी पर आधारित बनी फिल्म है। गंगूबाई की भूमिका आलिया भट्ट ने निभाई है। वास्तविक घटनाओं पर फ़िल्में बनने का बड़ा फ़ायदा ये होता है कि दर्शक उसका क्लाइमेक्स जानता है फिर भी सारा घटनाक्रम जानने की उसमें उत्सुकता बनी रहती है।

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