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Health Advice : चावल खाने के शौकीन हो जाएं सावधान... बढ़ रहा कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा, जानिए कैसे

चावल खाने से हो सकता है कैंसर और दिल की बीमारियां, चावलों में बढ़ रही आर्सेनिक की मात्रा
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चंडीगढ़, 22 अप्रैल (ट्रिन्यू)

Health Advice : चावल भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा है। खासकर गर्मी में ज्यातर लोग चपाती की बजाए चावल खाना अधिक पसंद करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका सेवन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को न्यौता देता है। जी हां, हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक, चावल का अधिक मात्रा में सेवन कैंसर , दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ देता है।

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दरअसल, हाल के वर्षों में चावल में आर्सेनिक (arsenic) की मात्रा बढ़ने को लेकर चिंता जताई जा रही है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि लंबे समय तक आर्सेनिक युक्त चावल का सेवन करने से कैंसर, दिल की बीमारिया, डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

आर्सेनिक क्या है?

आर्सेनिक एक जहरीला रासायनिक तत्व है जो मिट्टी, पानी और हवा में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। यह दो प्रकार का होता है – ऑर्गेनिक आर्सेनिक और इनऑर्गेनिक आर्सेनिक। इनमें से इनऑर्गेनिक आर्सेनिक ज्यादा खतरनाक माना जाता है। जब धान की फसल पानी में डूबी हुई अवस्था में उगाई जाती है, तो मिट्टी में मौजूद इनऑर्गेनिक आर्सेनिक जड़ों के जरिए चावल के दानों में जमा हो जाता है।

क्यों बढ़ रही है समस्या?

चावल एक महत्वपूर्ण आहार है, लेकिन इसमें मौजूद आर्सेनिक की मात्रा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दरअसल, जलवायु परिवर्तन और कृषि की तकनीक में बदलाव ने आर्सेनिक के स्तर को प्रभावित किया है। कुछ क्षेत्रों में भूजल में पहले से ही आर्सेनिक की मात्रा अधिक है। जब यह पानी सिंचाई में इस्तेमाल होता है, तो यह धान की फसल में घुल-मिल जाता है। पारंपरिक धान की खेती, जिसमें खेतों को लंबे समय तक पानी में डुबोकर रखा जाता है, वो आर्सेनिक के अवशोषण को और बढ़ा देती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

कैंसर: लिवर, ब्लैडर, फेफड़े और स्किन कैंसर का खतरा आर्सेनिक के लंबे समय तक सेवन से बढ़ सकता है।

हृदय रोग: आर्सेनिक धमनियों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

प्रजनन स्वास्थ्य पर असर: गर्भवती महिलाओं में आर्सेनिक भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है।

मस्तिष्क विकास: बच्चों में आर्सेनिक की उपस्थिति मानसिक विकास और सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।

समाधान और सावधानियां

पानी में भिगोना और धोना: चावल पकाने से पहले उसे अच्छी तरह से धोना और कुछ घंटे भिगोकर रखना आर्सेनिक की मात्रा को घटा सकता है।

ज्यादा पानी में पकाना: चावल को ज्यादा पानी में पकाकर फिर अतिरिक्त पानी निकाल देने से आर्सेनिक कम हो सकता है।

बदले फसल की किस्में: ब्राउन राइस में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होती है, क्योंकि इसका बाहरी आवरण नहीं हटाया जाता। सफेद चावल अपेक्षाकृत कम जोखिम वाला होता है।

स्रोत का ध्यान रखें: ऐसे क्षेत्र जहां भूजल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है, वहां उगाए गए चावल से बचना चाहिए।

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