Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

खाइए मीठा जरूर लेकिन जरा संभल कर

मीठे का स्वाद हर किसी को भाता है। यूं भी बतौर परंपरा मीठा खाने के बहुतेरे मौके हैं। आयुर्वेद भी इस सांस्कृतिक परंपरा की पुष्टि करता है। लेकिन चिकित्सा और पोषण विज्ञान के मुताबिक, अत्यधिक मीठा खाना स्वास्थ्य के लिए...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

मीठे का स्वाद हर किसी को भाता है। यूं भी बतौर परंपरा मीठा खाने के बहुतेरे मौके हैं। आयुर्वेद भी इस सांस्कृतिक परंपरा की पुष्टि करता है। लेकिन चिकित्सा और पोषण विज्ञान के मुताबिक, अत्यधिक मीठा खाना स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। इसे संतुलित मात्रा में ग्रहण करें।

डॉ. मधुसूदन शर्मा

Advertisement

मीठा’ ऐसा शब्द है, जो सुनते ही हमारे मन को आनंदित कर देता है। चाहे वह गुड़ हो, चीनी, शहद, मिठाई, चॉकलेट हो या कोई अन्य मिष्ठान। मीठे का स्वाद हर किसी को भाता है। भारतीय संस्कृति में तो मीठा कई परंपराओं, रीति-रिवाजों और भावनाओं से जुड़ा है। जन्मदिन का केक हो या त्योहारों की मिठाइयां, शुभ अवसरों पर प्रसाद मीठा ही होता है। कोई भंडारा हो या पारिवारिक आयोजन- हलुआ, खीर या कोई अन्य मिठाई सर्वप्रथम परोसी जाती है। ग्रामीण अंचलों में आज भी परंपरा है कि मेहमानों का स्वागत घी-बुरा व चावल से किया जाता है। पुराने समय में जब लोग पंगत में बैठ भोजन करते थे, तब भी थाली में पहले मिठाई ही परोसी जाती थी।

आयुर्वेद भी इस सांस्कृतिक परंपरा की पुष्टि करता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित है कि भोजन से पूर्व मधुर रस खाने से वात दोष का शमन होता है, पाचन क्रिया संतुलित रहती है। इस तरह मन और शरीर दोनों शांत रहते हैं।

ऊर्जा और पोषण का प्रमुख स्रोत

मीठा ऊर्जा और पोषण का प्रमुख स्रोत है। मीठे का प्रमुख घटक कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज, फ्रुक्टोज़ और सुक्रोज) होता है जो शरीर को त्वरित ऊर्जा देता है। मस्तिष्क, मांसपेशियां और हृदय सुचारु रूप से कार्य करने के लिए ग्लूकोज पर ही निर्भर होते हैं। मीठा खाने से खुशी के हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे हम उत्साहित रहते हैं। शहद, गुड़ और मीठे फल न केवल शर्करा प्रदान करते हैं, बल्कि विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।

ज्यादा मीठा नुकसानदायक भी

मीठा लाभदायक होने के बावजूद इसका अत्यधिक सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है। आधुनिक चिकित्सा और पोषण विज्ञान के मुताबिक, अत्यधिक मीठा खाना स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। इसे संतुलित मात्रा में ग्रहण करें और तन मन पर इसके प्रभाव को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझें।

शोध बताते हैं कि चीनी और प्रोसेस्ड मीठे पदार्थों का अत्यधिक सेवन इन्सुलिन प्रतिरोध को बढ़ा सकता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। अत्यधिक मीठा खाने से मोटापा, उच्च रक्तचाप, ट्रायग्लिसराइड का स्तर बढ़ सकता है। मीठे पेय पदार्थों जैसे (सोडा, पैकेज्ड जूस) का अधिक सेवन करने से फैटी लीवर डिजीज़ का खतरा रहता है। चीनी खाने से दांतों में कैविटी और क्षरण होता है। स्वस्थ दांतों के लिए बच्चों में मीठे का प्रयोग सीमित होना चाहिए। अधिक मीठा खाने से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर तेजी से बढ़ता और गिरता है, जिससे ऊर्जा का असंतुलन और आलस्य व थकावट महसूस होती है।

संतुलित रूप से कैसे खाएं

प्राकृतिक स्रोत अपनाएं : चीनी के बजाय शहद, गुड़ और फलों को अपने आहार में शामिल करें। ये न केवल मीठा स्वाद देते हैं, बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर भी होते हैं। शहद एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है। गुड़ आयरन और मिनरल्स से भरपूर होता है और पाचन प्रक्रिया ठीक रखता है। फल फाइबर, विटामिंस और प्राकृतिक मिठास के उत्तम स्रोत हैं। प्राकृतिक स्रोंतों से प्राप्त मीठे का गलीसिमिक इंडेक्स कम होता है। यह रक्त शर्करा को धीमी गति से बढ़ाता है और ऊर्जा स्थिर रहती है।

प्रसंस्कृत मीठे को न

पैकेज्ड मिठाई, सॉफ्ट ड्रिंक, चॉकलेट केक और कुकीज़ जैसी चीजों का सेवन कम करें। घर में बनी पारंपरिक मिठाई खाएं।

मीठा खाने का समय : सुबह या दोपहर के समय मीठा खाना बेहतर है। इस समय शरीर इसे आसानी से पचा सकता है। रात में मीठा खाने से बचें।

फाइबर और प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं : फाइबर युक्त भोजन जैसे सलाद, साबुत अनाज खूब लें। यह रक्त शर्करा को स्थिर रखते हैं।

Advertisement
×