Dadi-Nani Ki Baatein : सावन में कढ़ी मत खाओ, ठीक नहीं होती... जानिए ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी
चंडीगढ़, 13 जुलाई (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Baatein : सावन का महीना हिंदू धर्म में खास महत्व रखता है क्योंकि इस दौरान भक्त भोलेनाथ के व्रत रखते हैं। वहीं, यह महीना धार्मिक, आध्यात्मिक और स्वास्थ्य से जुड़े कई नियमों और परंपराओं से जुड़ा होता है। हालांकि इस दौरान कुछ चीजें करने की भी मनाही होती है। उन्हीं में से एक है कढ़ी खाना। कई घरों में बड़े-बुजुर्ग, खासकर दादी -नानी अक्सर कढ़ी खाने के लिए मना करती हैं। ऐसे में हर कोई सोचता है कि आखिर सावन में कढ़ी खाने से क्यों मना किया जाता है?
क्या कहता है आयुर्वेद शास्त्र?
आयुर्वेद के अनुसार, सावन का महीना यानि जुलाई–अगस्त में शरीर का पाचन तंत्र सबसे कमजोर हो जाता है। इस समय वातावरण में नमी, गर्मी और भारीपन बढ़ जाता है, जिससे अग्नि (digestive fire) मंद हो जाती है। वहीं, कढ़ी में दही और बेसन होता है, जोकि ठंडे व भारी तत्व हैं।
दही खट्टा, भारी और कफ-वर्धक होता है, जिससे पाचन पर असर पड़ सकता है। बेसन से बनी कढ़ी गर्मी और आर्द्रता के मौसम में गैस, एसिडिटी और पेट फूलने जैसी समस्याएं बढ़ा सकती है। इसलिए, बड़े-बुजुर्ग इस मौसम में पाचन की कमजोरी को देखते हुए कढ़ी जैसे खट्टे और भारी भोजन से परहेज करने की सलाह देते हैं।
धार्मिक मान्यताएं
सावन का महीना शिव भक्ति का महीना माना जाता है। इस दौरान लोग उपवास करते हैं और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। सात्विक भोजन में ताजे, हल्के, सुपाच्य और शुद्ध आहार शामिल होते हैं, जिनमें दही या खट्टे तत्व नहीं होते। कढ़ी में उपयोग होने वाला दही खट्टा होने के कारण तामसिक (Tamasic) श्रेणी में आता है, जो ध्यान, भक्ति और मन की शुद्धता में बाधा माना जाता है।
धार्मिक मान्यता यह भी है कि सावन में शिवलिंग पर खट्टा अर्पित नहीं किया जाता क्योंकि वह अशुद्ध और अनुचित माना जाता है। उसी मान्यता के अनुसार, खट्टा खाना भी वर्जित हो गया।
क्या कहता है विज्ञान?
सावन में बारिश के कारण वातावरण में नमी और संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है। इस समय पेट से जुड़ी बीमारियां जैसे डायरिया, फूड प्वाइजनिंग और टाइफाइड जैसी समस्याएं ज्यादा होती हैं। कढ़ी अगर ठीक से न पकाई जाए या ज्यादा समय तक रख दी जाए तो उसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इसलिए सावन में कढ़ी खाने के लिए मना किया जाता है, ताकि कोई बीमार न पड़े।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।