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भारतीय टीम की हार की वजह

अति आत्मविश्वास विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम की हार के लिए क्रिकेट विशेषज्ञ और सांख्यविद इसके लिए ‘औसत का नियम’ को जिम्मेदार ठहराने लगे। कुछ लोग टॉस का हारना सबसे बड़ा कारण मानने लगे। लेकिन कहीं न कहीं...
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अति आत्मविश्वास

विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम की हार के लिए क्रिकेट विशेषज्ञ और सांख्यविद इसके लिए ‘औसत का नियम’ को जिम्मेदार ठहराने लगे। कुछ लोग टॉस का हारना सबसे बड़ा कारण मानने लगे। लेकिन कहीं न कहीं साहस और अभ्यास की भी कमी नजर आ रही थी। हार-जीत कोई मायने नहीं रखते लेकिन किसी भी खेल को जीतने के लिए आत्मविश्वास जरूरी है। लेकिन वहीं दस मैचों की लगातार जीत और अति आत्मविश्वास टीम के लिए आत्मघाती साबित हुए।

नैन्सी धीमान, अम्बाला शहर

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मनोवैज्ञानिक खेल

विश्व कप में हार से शुरुआत करने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने मैदान के अंदर संघर्ष का और बाहर मनोवैज्ञानिक खेल खेला। फ़ाइनल से पहले ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने कहा था ‘भीड़ स्पष्ट रूप से एकतरफा होने वाली है, लेकिन अपने खेल से, बड़ी भीड़ को चुप करने से ज्यादा संतोषजनक कुछ नहीं होगा।’ ऑस्ट्रेलिया ने यही किया भी। दूसरी तरफ लगातार दस एकतरफा जीत, घरेलू मैदान में खेलने का फायदा और एक सौ चालीस करोड़ देशवासियों की उम्मीदों पर सवार भारतीय टीम ने अपने को अजेय मान लिया था। ये अति आत्मविश्वास ही हार का कारण बना।

बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.

टॉस ही बॉस

हर चौथे साल होने वाले एक दिवसीय क्रिकेट विश्वकप 2023 का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इसमें सभी टीमों ने बढ़चढ़कर प्रदर्शन किया। आस्ट्रेलिया व अफगानिस्तान का मैच यादगार बन गया। भारत की टीम ने निरंतर दस मैच जीतने का रिकॉर्ड बनाया परन्तु फाइनल में आस्ट्रेलिया पर विजय प्राप्त नहीं कर सकी। भारतीय टीम टास हारने के साथ ही अपनी बैटिंग और बोलिंग में अपने घरेलू दर्शकों के समर्थन के बावजूद मैच जीतने वाला करिश्मा न दोहरा सकी। आस्ट्रेलियाई टीम ने टॉस का बॉस वाली कहावत को चरितार्थ कर दिखाया।

देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद

मानसिक दबाव

विश्व कप फाइनल में देशवासियों को टीम के जीतने की उम्मीद थी, क्योंकि पिछले 10 मैचों में एक में भी टीम ने हार का सामना नहीं किया था। पूरे टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। मगर फाइनल में उस जोश और उत्साह से खिलाड़ी नहीं खेले। ऐसा लगा कि जैसे किसी मानसिक दबाव में खेल रहे हैं। बल्लेबाजों और गेंदबाजों से जो प्रदर्शन अपेक्षित था, वह नदारद रहा। खेल को खेल भावना से ही खेलना चाहिए। पूरे टूर्नामेंट में जितने भी विश्व रिकॉर्ड भारतीयों के नाम हुए वह काबिलेतारीफ है। उनके लिए भारतीय खिलाड़ियों पर गर्व किया जाना चाहिए।

पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

टीम पर गर्व

क्रिकेट विश्वकप भारत की झोली में आते-आते आस्ट्रेलिया के खाते में चला गया। भारतीय टीम को मिली इस हार के बाद भारतीय प्रशंसकों में मायूसी के साथ-साथ नाराजगी भी देखने को मिल रही है। लेकिन हमें यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि खेल को खेल की भावना से खेलना और देखना चाहिए। हार-जीत तो किसी भी खेल का अहम हिस्सा होते हैं। हार-जीत की वजह जो भी रही हो लेकिन भारतीय टीम ने विश्वकप अभियान में दमदार प्रदर्शन किया, भारतीय क्रिकेट टीम में ब्लू रिवोल्यूशन था, हमें अपनी टीम पर गर्व है।

रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत

पराजय का मंथन करें

भारतीय टीम की हार की वजह अति आत्मविश्वास भी हो सकता है। देश के हर खिलाड़ी का सपना और विश्वास होता है कि वो जीत हासिल करे, लेकिन खेल में हर बार हर खिलाड़ी को सफलता ही मिले यह भी संभव नहीं। हमें अपनी टीम के शानदार प्रदर्शन को याद रखना चाहिए, अगर किसी मैच में हार भी मिलती है तो हमें अपने खिलाड़ियों का विरोध नहीं करनी चाहिए। न ही हमारी टीम को निराश होना चाहिए, बल्कि टीम को अपनी हार का मंथन करते हुए अपनी त्रुटियों को दूर करते हुए पूरे जोश के साथ अगले मैच खेलने चाहिए।

राजेश कुमार चौहान, जालंधर

पुरस्कृत पत्र

हार की तार्किकता

भारतीय टीम की हार का विश्लेषण, आस्ट्रेलियाई टीम के प्रदर्शन को सामने रखकर किया जाए। अंतिम पच्चीस ओवरों में मात्र 110 रन बनने, अंतिम चालीस ओवरों में सिर्फ़ चार चौके लगने और लगातार सत्ताईस ओवरों में एक भी बाउंडरी न लगने का कारण धीमी पिच और ओस को बताना, हार का सही मूल्यांकन नहीं होगा। आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के गेंदबाज़ी कौशल को भी भारतीय टीम की हार के कारकों में शुमार करना होगा। शुरू में ही तीन खिलाड़ियों के आउट हो जाने का मनोवैज्ञानिक दबाव, मिडिल ओवर्स में भारतीय खिलाड़ियों की बेहद धीमी बैटिंग ने भी हार की स्थिति बनने में योगदान किया। उधर, करो या मरो का भाव, मेहमान टीम में भरपूर था जबकि मेजबान टीम अपराजेयता की अहमन्यता का शिकार हो गई।

ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

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