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प्रदूषण और नागरिकों की जिम्मेदारी

जन संसद
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सुधार जरूरी

देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में अनियंत्रित प्रदूषण को लेकर शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही, कोर्ट ने नाराजगी जताई कि वायु गुणवत्ता की बेहद गंभीर स्थिति होने के बावजूद सुधार के लिए ग्रैप 4 लागू करने में कोताही बरती गई है। सभी नागरिकों को यह भली-भांति पता है कि प्रदूषण के मूल कारण क्या हैं और किन स्रोतों से प्रदूषण बढ़ रहा है। ऐसे में प्रदूषण से निपटने के लिए लक्षित कदम उठाने होंगे, जिससे प्रदूषण का स्तर कम हो सके। यह काम हम सभी नागरिकों को पूरी गंभीरता से करना होगा।

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रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत

जिम्मेदार नागरिक बनें

प्रदूषण की समस्या अब देश के छोटे-बड़े शहरों को गिरफ्त में ले चुकी है, विशेषकर दिल्ली और एनसीआर में जहां जनसंख्या घनत्व अधिक है, वहां प्रदूषण जानलेवा हो जाता है। कई वर्षों से यह समस्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला। सभी को यह समस्या गंभीर रूप से पता है, फिर भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हमें एक सजग नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। हम समारोहों में पटाखे न चलाकर, खेतों में पराली का सही निपटान करके और सार्वजनिक वाहनों का अधिक उपयोग करके प्रदूषण में कमी ला सकते हैं।

सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी

जागरूकता बढ़ाएं

प्रकृति, हरियाली और जीव-जंतुओं के सहयोग से आबो-हवा को निरंतर साफ करने की क्षमता रखती है। हमारे पूर्वजों ने इसकी पहचान कर हवा, पानी और ज़मीन को स्वस्थ रखा था। लेकिन आज की जीवनशैली में ज्यादातर लोग अपनी जिम्मेदारी से विमुख होते जा रहे हैं। इसी कारण दिल्ली के आसपास सर्दियों में वायु प्रदूषण का कहर बढ़ता जा रहा है। सरकारी तंत्र भी कोर्ट के आदेश पर क्षणिक कार्रवाई ही करता है। नागरिकों की जागरूकता और राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही इस पर काबू पाया जा सकता है।

देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद

जिम्मेदारी और समाधान

दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का संकट गहरा होता जा रहा है। पराली जलाना, वाहनों की बढ़ती संख्या, निर्माण कार्यों में तेजी, सर्दी में धुंध, और अधिक ऊर्जा का उपयोग इसके प्रमुख कारण हैं। दिल्ली अब गैस चैंबर बन चुकी है, जिससे अनगिनत बीमारियां फैल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार सरकारों को फटकार लगाई, लेकिन समाधान अभी तक नहीं निकला। हमें स्थानीय स्तर पर साइकिल का उपयोग, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, ऊर्जा की बचत, और पेड़-पौधों की देखभाल जैसे कदम उठाने होंगे। प्रदूषण तभी रोका जा सकता है, जब हम जागरूक होकर जिम्मेदारी निभाएं।

शामलाल कौशल, रोहतक

सहयोग से नियंत्रण

यह सिर्फ नागरिकों की लापरवाही है, जो प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है। त्योहारों के दौरान लोग पटाखे चलाने पर जोर देते हैं। सरकार द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी लोग नहीं रुकते। सरकार के मना करने के बावजूद किसान पराली जलाना बंद नहीं करते, जो प्रदूषण का मुख्य कारण है। सरकार नियम और कानून बना सकती है, लेकिन उनका पालन करना नागरिकों की जिम्मेदारी है। बिना नागरिकों के सहयोग के प्रदूषण पर नियंत्रण असंभव है।

अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

पुरस्कृत पत्र

नागरिकों की भूमिका

प्रदूषण से निपटने में नागरिकों के छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं। जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला और लकड़ी का उपयोग कम करके तथा त्योहारों पर पटाखे न जलाने के लिए जन जागरूकता के प्रसार से वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। डीजल या पेट्रोल वाहनों के बजाय इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड वाहन अपनाकर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। सौर ऊर्जा का उपयोग भी वायुमंडल को स्वच्छ रखने में मददगार हो सकता है। पौधे लगाना और उनका संरक्षण करना, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग भी लाभकारी है। इसके साथ ही, सांसदों और विधायकों की सक्रिय भूमिका तय करके प्रदूषण समस्या का समाधान सुनिश्चित किया जा सकता है।

ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

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