ट्रंप की नीतियों का असर डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद विश्व शांति, युद्धों को रोकने के अलावा अमेरिका की सेना को विदेश भेजने के खिलाफ वादे किए। उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को...
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प्रभावी तंत्र जरूरी बीस जनवरी का दैनिक ट्रिब्यून में संपादकीय ‘हादसों की सड़क’ विश्लेषण करने वाला था। खराब सड़कों के कारण सड़क दुर्घटनाओं में भारत पहले स्थान पर है, जो शर्मनाक है। हालांकि सीसीटीवी कैमरे, जुर्माना और सिगनल जैसे उपाय...
मोटापे का खतरा संपादकीय ‘मोटापा सब पे भारी’ में उल्लेख है कि आरामतलबी जीवनशैली, शारीरिक श्रम की कमी और अनियमित दिनचर्या से मोटापा बढ़ रहा है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक है। ये अन्य बीमारियों को जन्म देता है। युवा...
गो सेवा का धन पंजाब में आवारा पशुओं, विशेषकर गायों के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकारी योजनाओं और टैक्स वसूली के बावजूद गाय सेवा के लिए सही तरीके से काम नहीं हो रहा। भाजपा-अकाली शासन में करीब 600...
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सुरक्षा की खामियां मुंबई के बांद्रा में सैफ अली खान पर जानलेवा हमले से देश की आर्थिक राजधानी में बढ़ती असुरक्षा और अपराधियों के बढ़ते हौसले उजागर हो रहे हैं। जब बड़ी हस्तियां सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी की सुरक्षा...
शराब के दुष्प्रभाव पंजाब समेत अन्य राज्यों की सरकारें शराब को बढ़ावा दे रही हैं, जबकि इसके विनाशकारी परिणाम सामने आ रहे हैं। हाल ही में लोहड़ी के दिन पंजाब में शराब के कारण कई सड़क दुर्घटनाएं, पारिवारिक झगड़े और...
महिलाओं का मतदान संपादकीय ‘महिला योजनाओं पर भरोसा’ में उल्लेख है कि महिलाओं की साक्षरता में वृद्धि से मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई, और एससी-एसटी वर्ग ने भी निर्णायक भूमिका निभाई। दिल्ली में भी केजरीवाल सरकार ने महिलाओं को प्रतिमाह...
सावधानी से उपयोग बदलते दौर में नई टेक्नोलॉजी के साथ, कम्प्यूटर और इंटरनेट की अहमियत भी बढ़ गई है। मोबाइल के नए-नए स्वरूपों ने न केवल ग्राहकों को आकर्षित किया है बल्कि बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। कोविड-19 के...
किसान की स्थिति ग्यारह जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में पंकज चतुर्वेदी का लेख ‘फसल खुद नष्ट कर रहे हैं किसान’ में किसानों की संकटपूर्ण स्थिति पर ध्यान दिलाया गया है। उन्हें फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा और वे...
एफडीआई की संभावनाएं सात जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. जयंतीलाल भंडारी के लेख में भारत की विकास दर, सेंसेक्स की बढ़त, और राजनीतिक स्थिरता के बीच विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाने की संभावनाएं उजागर की गई हैं। 2025 तक एफडीआई...
डिजिटल शिक्षा का विस्तार डिजिटलाइजेशन के दौर में यह जरूरी है कि हर बच्चे को कम्प्यूटर और इंटरनेट का ज्ञान हो। सरकार ने सरकारी स्कूल खोलकर समाज के निम्न वर्ग के बच्चों को शिक्षा की सहूलियत तो दी है, लेकिन...
साइबर फ्रॉड पर कार्रवाई साइबर पुलिस ने बीते साल 1 जनवरी से 15 दिसंबर तक 190 साइबर ठगों को गिरफ्तार कर 10 करोड़ की रकम फ्रीज की और 59 लाख रुपये पीड़ितों को लौटाए। इस कार्रवाई में सात राज्यों में...
दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तीन जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय में बांग्लादेश के नायक, शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना के शासन में कट्टरपंथी तत्वों द्वारा उनके पिता की प्रतिमा तोड़े जाने, देश की करेंसी से उनका नाम हटाने की मांग...
भारत विरोधी रुख संपादकीय ‘निशाने पर मुजीब’ में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के अलोकतांत्रिक कदमों की आलोचना की गई है। शेख मुजीबुर्रहमान के योगदान को नकारते हुए उनके चित्र हटाना, पाठ्यक्रम में बदलाव और छुट्टियां रद्द करना निंदनीय है। बांग्लादेश...
नया साल, नए संकल्प एक जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में सम्पादकीय लेख में ‘संकल्पों का नया साल में ऐसा हो जीवन कि न रहे कोई मलाल’ तार्किक लगा। कोई साल अच्छा-बुरा नहीं होता, उसके दौरान उत्पन्न होने वाली परिस्थितियां उसकी...
उल्लास और जिम्मेदारियां ‘संकल्पों का नया साल’ संपादकीय में नए साल की परंपरा और उसके उल्लास पर चर्चा की गई है। सर्दियों में नया वर्ष मनाने की वजह यह है कि लोग जोश में आकर अपनी चिंताओं को भूल जाते...
लापरवाही और जिम्मेदारी इकतीस दिसंबर को प्रकाशित दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘मौत के बोरवेल’ में उल्लेख है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में सभी राज्यों को निर्देश दिए थे, लेकिन अनदेखी के कारण घटनाएं नियंत्रित नहीं हो सकीं। बोरवेल खोदने...
अपूरणीय क्षति अट्ठाईस दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘एक युगीन राजनेता’ डॉ. मनमोहन सिंह के विगत जीवन के विभिन्न पहलुओं की व्याख्या करने वाला था। देश में आर्थिक सुधार करके न केवल देश का विकास किया बल्कि दुनिया को...
मांगें पूरी कीजिए उनतीस दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर ‘डल्लेवाल को अस्पताल जाने...’ में बताया गया है कि किसानों की मांगों को लेकर जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं और उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।...
सादगी के प्रधानमंत्री भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री, 92 वर्षीय डॉ. मनमोहन सिंह का दुखद निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जन्म पश्चिमी पाकिस्तान में हुआ था। अपने परिश्रम से उन्होंने लंदन से पीएचडी की, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में...
विकास का नया सवेरा केंद्रीय गृह मंत्रालय जिस तत्परता से जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के विकास के लिए नित नए कदमों की घोषणा कर रहा है, सराहनीय है। आतंकवाद के गहरे घाव से उबरा जम्मू-कश्मीर और प्रकृति और...
राजनीति के अटल पच्चीस दिसम्बर के दैनिक ट्रिब्यून में प्रधानमंत्री के लेख ‘शुचिता की राजनीति के अटल सत्य’ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर उनके योगदान को सराहा गया है। अटल जी ने राजनीति में शुचिता...
बढ़ती भूमिका का सम्मान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत द्वारा ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ सम्मान से नवाजा गया है, जो मित्रता का प्रतीक है। यह सम्मान पहले बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स और जॉर्ज बुश को भी...
राजनीति का स्तर दैनिक ट्रिब्यून के 21 दिसंबर के संपादकीय में भारतीय लोकतंत्र में बढ़ती असंसदीय गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की गई है। संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हिंसा, सांसदों के जख्मी होने, और पुलिस रिपोर्ट्स का...
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