पाठकों के पत्र
वैश्विक सुरक्षा पर घात
अठारह जून के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘रडार पर पाक’ अत्यंत प्रासंगिक रहा है। पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को राज्य नीति की तरह उपयोग कर रहा है। पुलवामा हमले से लेकर हाल ही में पहलगाम में हुए नरसंहार तक इसके प्रमाण हैं। एफएटीएफ ने भी माना है कि यह सब पाक की फंडिंग के बिना संभव नहीं। ऐसे देश को आईएमएफ जैसी संस्थाओं से वित्तीय सहायता दिलाना वैश्विक सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
शामलाल कौशल, रोहतक
जीवन का संदेश
आज के दौर में, एक ओर प्रेम के लिए अपने ही पति की हत्या का उदाहरण सामने आता है, जो सामाजिक विकृति का सूचक है। वहीं जालना जिले के साधारण किसान परिवार के 93 वर्षीय दंपति का अपनी पत्नी के लिए ‘प्रेम भाव’ प्रदर्शित करती, खबर (दैनिक ट्रिब्यून, 19 जून) ने अभिभूत कर दिया। यह अपने में, उन सभी को जीवन का संदेश देती है कि ‘प्रेम मन से होता है।’
गजानन पांडेय, हैदराबाद
बदलें मानसिकता
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में आज भी जाति भेदभाव एक बड़ी सामाजिक समस्या है। संविधान ने सभी को समानता का अधिकार दिया है, फिर भी कई गांवों और शहरों में लोगों को उनकी जाति के आधार पर भेदभाव सहना पड़ता है। हमें इस मानसिकता को बदलना होगा।
स्मृति, शूलिनी विश्वविद्यालय, सोलन
शांति के प्रयास जरूरी
इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ता युद्ध केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक शांति के लिए खतरा बन चुका है। इससे हजारों निर्दोष लोग प्रभावित हो रहे हैं और तेल आपूर्ति व अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह शांति प्रयासों को बढ़ावा दे और इस टकराव को रोककर मानवता और भविष्य की रक्षा सुनिश्चित करे।
दीपांशी सैनी, चौ. देवीलाल विवि, सिरसा