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पाठकों के पत्र

प्लास्टिक प्रदूषण सत्रह जून के दैनिक ट्रिब्यून में पंकज चतुर्वेदी के लेख ‘कारगर वैकल्पिक समाधान दूर करेगा संकट’ में प्लास्टिक और पॉलीथीन के बढ़ते उपयोग से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभावों को उजागर किया गया है। प्लास्टिक के छोटे...
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प्लास्टिक प्रदूषण

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सत्रह जून के दैनिक ट्रिब्यून में पंकज चतुर्वेदी के लेख ‘कारगर वैकल्पिक समाधान दूर करेगा संकट’ में प्लास्टिक और पॉलीथीन के बढ़ते उपयोग से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभावों को उजागर किया गया है। प्लास्टिक के छोटे कण फेफड़ों में जाकर कैंसर जैसी बीमारियां पैदा करते हैं, जबकि पॉलीथीन सीवरेज सिस्टम को अवरुद्ध करता है। तमिलनाडु में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पुराने कपड़ों के थैले और बायोप्लास्टिक को प्रोत्साहित करना आवश्यक है, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

शामलाल कौशल, रोहतक

गिफ्ट और सोच

आठ जून को दैनिक ट्रिब्यून में ‘अध्ययन कक्ष’ के अंतर्गत प्रकाशित दिनेश प्रताप सिंह ‘चित्रेश’ की कहानी ‘गिफ्ट’ में एक बच्चे को एक ख़तरनाक खिलौना बहुत पसंद आता है, जिसे पिता ने लेने से मना कर दिया था। लेकिन मां ने बच्चे की ख़ुशी के लिए वह खिलौना मंगवा लिया। एक समझदार व्यक्ति इसे सही नहीं ठहराएगा। इसमें एक समझदार सोच की अनदेखी की गई है। कहानी यह दर्शाती है कि हम अक्सर भावनाओं में बहकर सही और गलत का अंतर भूल जाते हैं। बच्चों को बचपन से ही हिंसक चीज़ों से दूर रखकर उन्हें शारीरिक गतिविधियों और खेलकूद के प्रति प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

अर्चना, सीडीएलयू, सिरसा

नकारात्मक संदेश

इन दिनों सोशल मीडिया पर रील बनाना बहुत लोकप्रिय हो गया है, जिसे पहले टिकटॉक कहा जाता था। रचनात्मक, सामाजिक या धार्मिक विषयों पर बनाई गई रीलें सभी को पसंद आती हैं। लेकिन खतरनाक स्टंट, नशीले पदार्थ या हथियारों के साथ रीलें नकारात्मक संदेश देती हैं। युवाओं को ऐसी आदतों से बचना चाहिए क्योंकि यह जीवन और परिवार के लिए खतरा है।

मनमोहन राजावत, शाजापुर

टूटता विश्वास

उन्नीस जून के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का आलेख 'अस्वस्थ प्रतियोगिता से दांव पर विश्वसनीयता' अत्यंत सारगर्भित है। उनका कहना बिल्कुल सही है कि अधिकांश न्यूज चैनल बिना आधार के विश्लेषण कर सत्ता के पक्ष में माहौल बनाते हैं और बदले में सरकारी विज्ञापन पाते हैं। अब तो ये चैनल सत्ता विरोधी खबरें दबाकर अपने कर्तव्य से भटक रहे हैं, जिससे जनता का विश्वास टूट रहा है।

डीवी अरोड़ा, फरीदाबाद

जीवन का संदेश

आज के दौर में, एक ओर प्रेम के लिए अपने ही पति की हत्या का उदाहरण सामने आता है, जो सामाजिक विकृति का सूचक है। वहीं जालना जिले के साधारण किसान परिवार के 93 वर्षीय दंपत्ति का अपनी पत्नी के लिए 'प्रेम भाव' प्रदर्शित करती, खबर (दैनिक ट्रिब्यून, 19 जून) ने अभिभूत कर दिया। यह अपने में, उन सभी को जीवन का संदेश देती है कि 'प्रेम मन से होता है।'

गजानन पांडेय, हैदराबाद

संवेदना से भरी कथा

पंद्रह जून के दैनिक ट्रिब्यून के अध्ययन कक्ष अंक में अजीत कौर की, सुभाष नीरव द्वारा अनूदित पंजाबी कहानी 'गुलबानो' पढ़कर मन भावुक हो गया। नायिका की सुंदरता का प्राकृतिक चित्रण और अलंकारिक भाषा शैली कहानी को प्रभावशाली बनाते हैं। वहीं, खुशदिल खान की संकुचित सोच के कारण कहानी का दुखद अंत मन को गहरे तक छूता है।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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