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विमल वर्मा ने हिन्दी आलोचना में निभाई अग्रणी भूमिका

स्थानीय डॉ. ओम प्रकाश ग्रेवाल अध्ययन संस्थान में जनवादी लेखक संघ द्वारा प्रख्यात आलोचक, संपादक, अध्यापक एवं जनवादी लेखक संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक विमल वर्मा (मूल नाम दयाशंकर अस्थाना) की याद में सभा का आयोजन किया गया।...
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कुरुक्षेत्र स्थित डॉ. ओम प्रकाश ग्रेवाल अध्ययन संस्थान में आलोचक विमल वर्मा की स्मृति सभा में श्रद्धांजलि अर्पित करते साहित्यकार। -हप्र
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स्थानीय डॉ. ओम प्रकाश ग्रेवाल अध्ययन संस्थान में जनवादी लेखक संघ द्वारा प्रख्यात आलोचक, संपादक, अध्यापक एवं जनवादी लेखक संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक विमल वर्मा (मूल नाम दयाशंकर अस्थाना) की याद में सभा का आयोजन किया गया। सभा में हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों से आए साहित्यकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके जीवन संघर्षों व योगदान को याद किया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष मंडल में जनवादी लेखक संघ के राज्य अध्यक्ष जयपाल, वरिष्ठ पत्रकार आलोक वर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार ओम सिंह अशफाक व मंगत राम शास्त्री शामिल रहे और संचालन मंजीत भावड़िया ने किया। इस मौके पर काव्य-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।

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कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए जयपाल ने कहा कि एक जनवरी, 1930 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिला में जन्मे विमल वर्मा की कार्यभूमि विशेष तौर पर कोलकाता (पश्चिम बंगाल) रही। गत 18 जून को उनका जीरकपुर मोहाली में निधन हो गया था। विमल वर्मा ने सामयिक, सामयिक परिदृश्य, चंद्रयान, धूमकेतु पत्रिकाओं का संपादन-प्रकाशन किया।

कुछ अन्य पत्र-पत्रिकाओं के संपादक मंडल में रहे। ओम सिंह अशफाक ने कहा कि शमेशर बहादुर सिंह को कवियों का कवि कहा जाता है, इसी प्रकार विमल वर्मा को आलोचकों का आलोचक कहा जा सकता है।

मंगत राम शास्त्री ने कहा कि विमल वर्मा हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। आलोक वर्मा ने कहा कि विमल जी सामाजिक-साहित्यिक आंदोलनों को अधिक समय देते थे।

उनके साक्षात्कारों से पता चलता है कि साहित्य में उनकी शुरुआत कविता से हुई थी। जींद से आए शायर मंगतराम शास्त्री ने हरियाणवी गज़ल में कहा- माणस आज भरया सै बाहर तै पूरा, भीत्तर आले सारे कमरे खाल्ली सैं। जनवादी लेखक संघ के राज्य महासचिव सरदानंद राजली ने कहा- एक दिवार क्या खिंची मेरे आंगन के बीच, एक घर दो मुल्कों में तब्दील हो गया।

मनजीत भावड़िया ने कहा- मेरे मन में सब की चिंता, जबर भरोटे आला सूं, दिन रात कमाऊं मैं फेर, भी थाली लोटे आला सूं।

कवि जयपाल ने कहा- युद्ध केवल दूसरे देशों के खिलाफ नहीं होता, युद्ध उनके खिलाफ होता है, जो दुनियाभर के बच्चों से प्यार करते हैं।

इस मौके पर शक्ति वर्मा, अलका नैथानी, यशोदा, प्रमोद चौधरी, हरपाल गाफिल, नरेश सैनी, डॉ. जसविन्द्र सिंह, डॉ. सुनील थुआ, नरेश दहिया, आरएस चौधरी, देवदत्त आदि साहित्यकार मौजूद रहे।

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