जीवन प्रबंधन की समग्र शिक्षा का सार गीता में समाहित : स्वामी ज्ञानानंद
कुरुक्षेत्र, 9 अप्रैल (हप्र)
जीवन प्रबंधन की समग्र शिक्षा का सार गीता में समाहित है। गीता की शिक्षा आज के आवश्यकताओं के अनुरूप है।राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप श्रीमद् भगवद् गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। श्रीमद् भगवद् गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि इसमें मानव जीवन की समस्याओं का समाधान मिलता हैं। ये उद्गार स्वामी ज्ञानानंद ने बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल में यूआईईटी संस्थान द्वारा श्रीमद् भगवद् गीता विज्ञान, आधुनिक शिक्षा व जीवन प्रबंधन विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए व्यक्त किए।
इससे पहले कार्यशाला का शुभारम्भ सभी अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने स्वामी ज्ञानानंद को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता भारत का ही नहीं अपितु पूरे विश्व का गौरव है। यह ग्रंथ केवल हिन्दुओं के लिए नहीं अपितु पूरी विश्व की मानवता के लिए है। उन्होंने कहा कि गीता में अर्जुन विश्व के हर उस युवक का प्रतिनिधित्व करता है जो कहीं न कहीं मानसिक रूप से बाधित है। यदि आप गीता को ध्यान से पढेंगे तो आपको लगेगा की आप ही अर्जुन है तथा हमें गीता से अपनेपन का संबंध लगने लगता है। वहीं गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षार्थी, विद्यार्थी, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, कमांडर तथा पथ प्रदर्शक की भूमिका का निवर्हन किया है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआईईटी संस्थान की ओर से ‘श्रीमद् भगवद् गीता : विज्ञान, आधुनिक शिक्षा व जीवन प्रबंधन’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के अतंर्गत क्रश हॉल में यूआईईटी के विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि यह प्रदर्शनी आध्यात्मिकता और विज्ञान का अद्भुत संगम है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी तकनीकी, विज्ञान, इंजीनियरिंग, सहित शिक्षा एवं जीवन अन्य क्षेत्रों में पथ प्रदर्शक का कार्य करती है। इस अवसर पर छात्रों ने श्रीमद् भगवद् गीता के संदेश एवं उसके अध्यायों को लेकर तकनीकी स्वरूप में उपयोगिता पर प्रदर्शनी का आयोजन किया।
नशा मुक्ति, स्वस्थ युवा एवं बड़ों के सम्मान की घोषणा
केयू ऑडिटोरियम हॉल में मुख्यातिथि स्वामी ज्ञानानंद ने युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हुए तीन घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि भविष्य में युवाओं को नशा मुक्ति, स्वस्थ युवा तथा बड़ों का सम्मान करने के लिए कार्य करना चाहिए। इस अवसर पर सभागार में उपस्थित युवाओं ने पूज्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज से जीवन की समस्याओं, कर्म करने, सही समय प्रबंधन करने, एकाग्रता बनाने, संयमता को लेकर प्रश्न पूछे तथा अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया।