मन की स्थिरता ही सच्चे सुख की कुंजी : ज्ञानानंद महाराज
सीवन, 11 जून (निस)
स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने श्रीकृष्ण कृपा सेवा मंदिर में अपने प्रवचनों में उपस्थित श्रद्धालुओं को कहा कि जो व्यक्ति अपने जीवन में ईश्वर को केंद्र में रखता है, उसका जीवन अपने आप सही मार्ग पर चलने लगता है। उन्होंने कहा कि मन की स्थिरता ही सच्चे सुख की कुंजी है और यह स्थिरता सत्संग, सेवा और साधना के माध्यम से प्राप्त होती है। क्रोध, लोभ और ईर्ष्या जैसे मन के विकारों से दूर रहकर मनुष्य को परोपकार और करुणा के मार्ग पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कार्य में प्रभु की कृपा का अनुभव करना चाहिए और चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, धैर्य बनाए रखना चाहिए। स्वामी जी ने यह भी कहा कि जीवन में छोटी-छोटी बातों पर मन को व्यथित नहीं करना चाहिए बल्कि हर क्षण को प्रभु की भक्ति और सेवा में लगाना चाहिए। उन्होंने समझाया कि जैसे दीपक स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है, वैसे ही मनुष्य को भी अपने सद्कर्मों से समाज में प्रकाश फैलाना चाहिए। अंत में उन्होंने कहा कि यदि मन सच्चे भाव से प्रभु चरणों में लग जाए, तो संसार के सभी दुख स्वयं समाप्त हो जाते हैं। इस अवसर पर समिति के प्रधान संजय आहूजा, पूर्व प्रधान सुरेश सरदाना, पार्षद मोंटी कामरा, भाजपा की जिला उपाध्यक्ष शैली मुंजाल, केवल कृष्ण मिड्ढा, राजीव मिड्ढा, महेंद्र मुंजाल, कृष्ण वधवा, सुरेश वधवा सहित कई संख्या श्रद्धालु उपस्थित थे।