माता-पिता, बुजुर्गों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची भक्ति : खरींडवा
बाबैन (निस) :
विश्वकर्मा पांचाल समाज सुधार सभा के प्रदेशाध्यक्ष एवं समाजसेवी साहब सिंह खरींडवा ने बाबैन में एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए कहा है कि मनुष्य अकेला है और अकेला ही आया था और अकेला ही जायेगा। मनुष्य भौतिक सुख की इच्छा करके और भी अधिक अकेला हो गया है। पूर्व जन्म के आधार पर जीवन में जो सुख-दु:ख प्राप्त होते हैं, वह अकेले को ही भोगने होते हैं, कोई दूसरा उसमें भागीदार नहीं हो सकता, इसलिए मनुष्य ने अच्छे कार्य करने चाहिए। उन्होंने कहा है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता व घर के बड़े-बुजुर्गों की सेवा-सत्कार करते हैं, उन्हें फिर किसी तीर्थ स्थल, मंदिर में जाने की या कथा-कीर्तन सुनने की आवश्यकता नहीं रहती। सेवा भी ऐसी करनी चाहिए, जिससे सेवा करने वाले को सुख प्राप्त हो और संतुष्टि मिले। उन्होंने कहा है कि माता-पिता व बुजुर्गों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची भक्ति हैं और माता-पिता की सेवा करना ही हमारा नैतिक कर्तव्य व धर्म बनता है।