Rao Narbir Suggested : पानी के लिये रिड्यूस, रीयूज, रीचार्ज और रीसाइकिल का मंत्र अपनाएं
गुरुग्राम, 6 फरवरी (हप्र) : पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह (Rao Narbir Suggested) ने बृहस्पतिवार को अरावली पर्वत ऋंखला की तलहटी में स्थित बीएसएफ कैंपस में जल संरक्षण की दिशा में प्रयासरत गुरुजल सोसायटी द्वारा क्रियान्वित कार्यों का निरीक्षण किया। जल संचयन के माध्यम से विकास की धारा को जारी रखने के उद्देश्य से (Due to) जल सोसायटी द्वारा सीएसआर के सहयोग से 216 एकड़ में फैले बीएसएफ परिसर में विभिन्न तकनीकी माध्यम से जल संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं।
Rao Narbir Suggested
पर्यावरण मंत्री ने अपने दौरे में परिसर में विभिन्न स्थानों पर जल संरक्षण के लिए क्रियान्वित विकास कार्यों का गहनता से निरीक्षण किया। इस दौरान ( DURING THE VISIT) उन्होंने जल संचयन विशेषज्ञों द्वारा वहां अपनाई जा रही जल संरक्षण की विभिन्न तकनीकों की जानकारी भी ली।
पर्यावरण मंत्री ने कहा ( SIकि जल और पर्यावरण संरक्षण भारत की पारंपरिक चेतना का हिस्सा है।' उन्होंने कहा कि भारत के लोग ऐसी संस्कृति से जुड़े हैं जिसमें जल को भगवान का रूप, नदियों को देवी और सरोवरों को देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। उन्होंने कहा कि जल वह पहला मापदंड होगा जिसके आधार पर हमारी आने वाली पीढ़ियां हमारा मूल्यांकन करेंगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि जल सिर्फ़ एक संसाधन नहीं है, बल्कि यह जीवन और मानवता के भविष्य से जुड़ा सवाल है।
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राव नरबीर सिंह ने (further) पर्यावरण और जल संरक्षण की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि जल संरक्षण केवल नीतियों का मामला नहीं है, बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धता का भी विषय है। पर्यावरण मंत्री ने जल संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ते हुए आगामी पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रिड्यूस, रीयूज, रिचार्ज और रीसाइकिल के मंत्र को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि पानी को तभी बचाया जा सकता है, जब इसका दुरुपयोग बंद हो, खपत कम हो, पानी का पुनः उपयोग हो, जल स्रोतों को पुनः रिचार्ज किया जाए और दूषित पानी को फिर से इस्तेमाल लायक बनाया जाए।
आदर्श उदाहरण बना बीएसएफ का भौंडसी परिसर
गुरुजल की प्रोग्राम मैनेजर मनीषा मलिक ने बताया कि 95 बीएसएफ भौंडसी परिसर, जो 216 एकड़ में फैला है और जिसमें 4,500 से अधिक निवासी रहते हैं। परिसर में भूजल स्तर में बढ़ोतरी करने व जलभराव जैसी स्थिति से निपटने के लिए गुरुजल सोसायटी द्वारा सीएसआर की मदद से जल-तटस्थ पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा रहा है।
इस पूरी परियोजना में ( equally important) मृदा की क्षति और नुकसान को रोकने के लिए वाटरशेड प्रबंधन और संरक्षण प्रयासों के तहत विभिन्न तकनीकों को माध्यम बनाया गया है। इसी क्रम में वर्षा जल संचयन और एक्वीफयर रिचार्ज को टिकाऊ बनाने में प्रकृति-आधारित तरीकों का उपयोग किया गया। जिसमें जल स्तर रिकॉर्डर (पीजोमीटर) के माध्यम से निरन्तर भूजल स्तर की निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के प्रयासों से पिछले दो वर्षों में परिसर क्षेत्र में भूजल स्तर में 4 फ़ीट की बढ़ोतरी हुई है।
ये अधिकारी भी रहे मौजूद
इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक विवेक सक्सेना, एसडीएम सोहना संजीव सिंगला, संयुक्त आयुक्त सुमित कुमार, डीएफओ राजीव कुमार और नरेंद्र यादव, कमांडेंट ऑफिसर बीएसएफ श्री जेआर मान (सेवानिवृत्त), गुरुजल की संस्थापक और सीईओ शुभी केसरवानी, नागरो की निदेशक सारिका पांडा भट्ट और गुरुजल की कार्यक्रम प्रबंधक मनीषा मलिक, सैयद मकबूल गिलानी, अंजली व बीएसफ के अन्य उपस्थित रहे।