‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ : सोशल मीडिया पर होगा ‘जनमत’
चंडीगढ़, 10 अप्रैल(ट्रिन्यू)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ अभियान को सफल बनाने के लिए हरियाणा ने सोशल मीडिया के जरिये जनमत हासिल करने की रणनीति तैयार की है। पंचकूला स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में सोशल मीडिया विभाग और 7 जिला संयोजकों की आयोजित हुई बैठक में पीएम के विजन के साथ आमजन को जोड़ने की कार्ययोजना तैयार की गई।
प्रदेश संगठन मंत्री फणींद्र नाथ की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में पिछले दो महीने से एक राष्ट्र-एक चुनाव अभियान को लेकर चलाई जा रही मुहिम की समीक्षा की गई। एक राष्ट्र-एक चुनाव के प्रदेश सह संयोजक मदन मोहन छाबड़ा ने दो महीने में जिलावार आयोजित किए सम्मेलनों का ब्योरा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि अभी तक 100 से ज्यादा सम्मेलन हो चुके हैं, जिनमें किसान, व्यापारी, युवा, शिक्षक और प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों के बीच में पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक राष्ट्र-एक चुनाव अभियान के साथ आमजन को जोड़ा है। फणींद्र नाथ ने कहा कि पीएम के अभियान के साथ आमजन को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया के जरिये प्रचार-प्रसार को बढ़ाया जाए। प्रदेश उपाध्यक्ष बंतो कटारिया ने कहा कि एक साथ चुनाव होने से मतदाता पूरे उत्साह के साथ मतदान में हिस्सा लेंगे और बार-बार अलग-अलग समय पर होने वाले चुनावों का खर्चा भी बचेगा। बैठक में अंबाला विभाग के अंबाला, यमुनानगर व पंचकूला जिले के संयोजकों और कुरुक्षेत्र विभाग के कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल और पानीपत जिलों के संयोजकों और सोशल मीडिया प्रमुखों ने हिस्सा लिया।
देश हित के लिए शुरू की मुहिम : पूनिया
प्रदेश महामंत्री सुरेंद्र पूनिया ने कहा कि देश हित के लिए एक राष्ट्र-एक चुनाव की शुरू की गई मुहिम के साथ हर व्यक्ति को जोड़ा जाए, ताकि यह अभियान सफल हो सके। एक राष्ट्र-एक चुनाव समिति के सह संयोजक मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि हर व्यक्ति एकमत के साथ समर्थन कर रहा है। विश्वविद्यालयों व कालेजों में आयोजित किए जा रहे सम्मेलनों में युवा और शिक्षक वर्ग के साथ बुद्धिजीवी वर्ग भी एक राष्ट्र-एक चुनाव का पक्षधर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज एक राष्ट्र-एक चुनाव का विरोध कर रही है, लेकिन वर्ष 1967 तक देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए हैं।
बार-बार चुनाव से विकास कार्य होते हैं प्रभावित : छाबड़ा
सह संयोजक छाबड़ा ने कहा कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए देश में अलग-अलग चुनाव कराने की रिवायत शुरू की थी। अलग-अलग चुनाव से देश हर वक्त चुनावी मोड में रहता है, जिसके चलते विकास कार्य प्रभावित होते हैं और मतदान भी घट रहा है, जोकि लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।