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Haryana News : देशभर में फैली किसान रणजीत के आंवला के लड्डुओं की महक

पानीपत के चमराड़ा का किसान आत्मनिर्भर भारत के सपने को कर रहा साकार
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पानीपत के चमराड़ा में आउटलेट पर आंवला के लड्डू व मुरब्बा दिखाता सुधीर। -हप्र
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बिजेंद्र सिंह/हप्र

पानीपत, 26 अप्रैल

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गांव चमराड़ा के किसान रणजीत सिंह का चमराड़ा से पुगथला रोड पर करीब 7 एकड़ में ऑर्गेनिक फार्म है। वह अपने फार्म पर ही आंवला के लड्डू, विभिन्न तरह के आचार व मुरब्बा बनाकर देशी उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है और पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा है।

रणजीत सिंह ऑर्गेनिक फार्म पर हरी व लाल मिर्च, मिठा नींबू, आम, आंवला, लहसून, टिंड, मिक्स व अदरक आदि के आचार के अलावा मुरब्बा, कैंडी, आंवला जूस, अलोविरा, गुलकंद व चटनी भी बना रहे हैं। इसके अलावा रणजीत सिंह व उनके बेटे सुधीर द्वारा आंवला के लड्डू बनाये जा रहे हैं। रणजीत ने बताया कि लड्डू शुद्ध देशी खांड से बनाये जाते हैं और इनकी इतनी ज्यादा डिमांड है कि ऑर्डर पूरे नहीं हो रहे। आंवला के लड्डू ज्यादातर ऑनलाइन बिकते हैं और देशभर में कोरियर द्वारा लड्डूओं के डिब्बों को पैक करके भेजा जाता है। ऑनलाइन सेल व लड्डू भिजवाने का सारा काम रणजीत सिंह का लड़का सुधीर देखता है। किसान ने अपने फार्म के पास ही मेन रोड पर रिटेल आउटलेट बनाया है। यहां भी आचार, मुरब्बा व आंवला के लड्डू बेचे जाते हैं। रणजीत सिंह के आंवला के लड्डूओं की महक आज देशभर में फैल चुकी है। समालखा से कोरियर वाला रोजाना रणजीत के फार्म पर चमराडा में आकर लड्डूओं की डिलीवरी लेकर जाता है।

किसान रणजीत बोले- शुरुआत में फार्म में लगाया था आंवले का बाग

रणजीत ने 9 साल पहले अपने खेत में ही कई एकड़ में आंवला का बाग लगाया था। सब्जी मंडी में आंवला सिर्फ 4 रुपये किलो बिका तो गांव व परिवार वालों ने कहा कि इससे तो लागत भी पूरी नहीं होगी। रणजीत ने बताया कि उस समय सोनीपत के गांव मोहमदपुर माजरा का किसान कर्ण सिंह आंवला का आचार व मुरब्बा बनाता था और रणजीत सिंह ने उससे प्रेरणा लेकर अपने फार्म पर आचार व मुरब्बा बनाना शुरू किया। शुरू में तो कर्ण सिंह की मदद से काम किया, लेकिन अब करीब 7 साल से रणजीत सिंह अपनी मशीनों से अपने फार्म में अपने उत्पाद बना रहा है।

सुधीर बोले- किसानों के उत्पादों की बिक्री के लिये आउटलेट खुलें

रणजीत के बेटे सुधीर ने कहा कि किसानों द्वारा बनाये जा रहे उत्पादों की बिक्री के लिये सरकार व बागवानी विभाग को हर जिला मुख्यालय में आउटलेट बनाने चाहिये ताकि किसानों द्वारा बनाये जा रहे उत्पादों को बेचने में कोई परेशानी न आये। किसान अपने उत्पाद तो बागवानी विभाग के सहयोग से बना लेते हैं, पर उनको बेचने में दिक्कत आती है। जिला मुख्यालयों पर आउटलेट होंगे तो उत्पादों की बिक्री आसानी से होगी।

डीएचओ डॉ़ शार्दुल बोले- 35% अनुदान दे रहा बागवानी विभाग

डीएचओ डाॅ. शार्दुल शंकर ने कहा कि बागवानी विभाग रिटेल आउटलेट बनाने के लिये अधिकतम 20 लाख पर 35 प्रतिशत अनुदान देता है, ताकि किसानों को अपने उत्पाद बेचने में कोई परेशानी न आये। प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर भी अधिकतम 35 लाख पर 35 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।

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