करोड़ों के टेंडर घोटाले में शाहाबाद चीनी मिल के तत्कालीन एमडी पर एफआईआर दर्ज
ठेकेदारों को शाहाबाद सहकारी चीनी मिल में करोड़ों रुपये के रिपेयर, मेंटनेस व संचालन के टेंडरों में अनियमितताओं के मामले में एडीसी कुरुक्षेत्र की अध्यक्षता में 25 अप्रैल 2025 को जांच पूरी की गई थी। रिपोर्ट के आधार पर डीसी कुरुक्षेत्र व अध्यक्षा शाहाबाद सहकारी चीनी मिल द्वारा रिपोर्ट तैयार करके 6मई 2025 को मुख्य सचिव, हरियाणा को मिल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक व अन्य के खिलाफ जांच सतर्कता ब्यूरो द्वारा करने बारे सिफारिश की गई थी।
शाहाबाद सहकारी चीनी मिल में करोड़ों रुपये के 2 टेंडरों में गड़बड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पूर्व प्रबंध निदेशक विरेन्द्र चौधरी, निदेशक मंडल के सदस्य, मैसर्ज पवन एनवायरनमेंटल सर्विसेज बिजनौर और कुश इंजीनियरिंग वर्कर्स के खिलाफ केस दर्ज किया है। शिकायत उपमुख्य रसायनविद विनीत कुमार ने 25 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री को दी थी। शिकायत में आरोप लगाया था कि 2 टेंडरों की तकनीकी बिड गलत तरीके से पास की गई। जिसमें सरकारी मापदंडों के अनुसार जरूरी दस्तावेज नहीं थे। इसके बावजूद बिड पास करने के लिए दबाव बनाया गया। जब उन्होंने और उपमुख्य अभियंता (मैकेनिकल) ने इसका विरोध किया तो डिप्टी चीफ कैमिस्ट को निलंबित कर दिया गया और डिप्टी चीफ इंजीनियर मनीष कुमार को डेप्यूटेशन पर जींद भेज दिया गया।
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा टेंडर रिजेक्ट कर दिए गए थे। मिल हित में काम करने का ईनाम देते हुए उन्हें इसका खामियाजा निलंबन से भुगतना पड़ा। शिकायत पर जांच के लिए डीसी नेे 3 सदस्यीय कमेटी बनाई। इसमें एडीसी को अध्यक्ष बनाया गया। जांच रिपोर्ट 25 अप्रैल 2025 को सौंपी गई। जिसमें खुलासा हुआ कि दोनों फर्म तकनीकी पात्रता पूरी नहीं करती थीं। फिर भी एमडी की देखरेख में पात्रता समिति ने उन्हें पास किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि एमडी की भूमिका संदिग्ध है और इस कार्य में निदेशक मंडल के सदस्य भी जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि टेंडर संख्या 2024-404917-1 की वित्तीय बिड में भी गंभीर अनियमितताएं थीं। एल-2 बोलीदाता को गलत तरीके से चुना गया। बातचीत की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। शिकायतकर्ता विनीत कुमार को निलंबित करना भी समिति ने गलत बताया। उन्होंने तकनीकी खामियों की ओर ध्यान दिलाया था। इसके बावजूद उन्हें सजा दी गई।
राज्य सतर्कता ब्यूरो अम्बाला मंडल कर रहा जांच
मुख्य सचिव कार्यालय के आदेश पर 22 जुलाई को एफआईआर दर्ज की गई। केस नंबर 24 की जांच राज्य सतर्कता ब्यूरो अम्बाला मंडल कर रहा है। एफआईआर में कहा गया कि एमडी विरेन्द्र चौधरी ने अपने पद का दुरुपयोग किया। सीएम विंडो पर दी शिकायत में तथ्यों से छेड़छाड़ की गई। इससे पोर्टल की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हुए। जांच में अन्य अधिकारियों की संलिप्तता सामने आने पर भी कार्रवाई की जाएगी। जब इस बारे में पूर्व एमडी वीरेंद्र चौधरी से बात करके पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।