यमुनानगर के तेजली गांव में बुखार का प्रकोप, दो दिन में 78 मामले
सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 30 अप्रैल
तेजली गांव में पिछले दो दिनों में बुखार के 78 संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिससे गांव में चिंता का माहौल है। दो लोगों को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बीमारी का कारण दूषित पानी का सेवन और खराब स्वच्छता है। कई ग्रामीणों को पिछले एक सप्ताह से तेज बुखार, सिरदर्द और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं। इसकी जानकारी मिलते ही जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने गांव में मंगलवार को रैपिड रिस्पॉन्स टीम भेजी। पिछले दो दिनों में टीम ने 380 घरों का सर्वे किया और जिसमें 26 पुरुषों व 52 महिलाओं में बुखार के लक्षण पाए।
ग्रामीणाों का कहना है कि लिए लोग बुखार और टाइफाइड जैसे लक्षणों से पीड़ित हैं। सरकार को तुरंत इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने चाहिए। बताया गया है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हेपेटाइटिस ए, बी,सी और ई, टाइफाइड (विडाल टेस्ट), लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टायफस की जांच के लिए 40-40 सैंपल लिये हैं। सभी सैंपल प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। बताया गया है कि पानी की आपूर्ति करने वाली पाइपलाइन में दो स्थानों पर रिसाव पाया गया। मंगलवार को विभिन्न घरों से लिए गए पानी के 11 सैंपल पीने योग्य नहीं पाए गए। बुधवा को फिर 11 और नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।निजी अस्पताल के प्रमुख डॉ़ अजेश का कहना है कि उनके पास बुखार के दो मामले दाखिल हुए हैं। उन पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। फिलहाल घबराने वाली कोई बात नहीं है। जिला सर्वेक्षण अधिकारी डॉ. वागीश गुटैन और जिला महामारी विशेषज्ञ डॉ. दिनेश शर्मा ने पुष्टि की है कि मेडिकल और पैरामेडिकल टीमों द्वारा घर-घर सर्वे किया जा रहा है और सभी रोगियों को लक्षणानुसार इलाज दिया जा रहा है। रोग के फैलाव को रोकने के लिए ओआरएस के पैकेट और दवाईयां की टैबलेट्स वितरित की गई हैं। ग्रामीणों को पीने का पानी उबालकर उपयोग करने, स्वच्छता बनाए रखने और भोजन से पहले हाथ धोने की सलाह दी गई है। सिविल सर्जन डॉ. पूनम चौधरी ने आश्वासन दिया कि स्थिति नियंत्रण में है और लगातार निगरानी में रखी जा रही है।