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fatehabad News-प्रदेश में नए साल में और 19,965 परिवार आये गरीबी रेखा से नीचे

मदन लाल गर्ग/ हप्रफतेहाबाद, 9 मार्च प्रदेश में गरीबी का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बीते दो महीनों में ही 19,965 परिवार गरीबी रेखा से नीचे चले गए। प्रदेश में जनवरी 2025 में...
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मदन लाल गर्ग/ हप्रफतेहाबाद, 9 मार्च

प्रदेश में गरीबी का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बीते दो महीनों में ही 19,965 परिवार गरीबी रेखा से नीचे चले गए। प्रदेश में जनवरी 2025 में गरीबी रेखा से नीचे परिवारों की संख्या 51,78,024 थी, जो मार्च 2025 में बढ़कर 51,97,989 हो गई। हालांकि गरीबी रेखा से नीचे व्यक्तियों की संख्या में जनवरी 25 के मुकाबले हल्की गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी में गरीबी रेखा से नीचे व्यक्तियों की तादाद 1,97,26,480 थी। जो फरवरी में घटकर 1,96,72,148 हो गई तथा मार्च में यह फिर बढ़कर 1,97,13,944 हो गई।

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इसका कारण परिवार पहचान पत्र का अलग-अलग बनना है। जिस कारण जनवरी से मार्च तक परिवार तो बढ़ गए, लेकिन उसमें दर्ज व्यक्तियों की संख्या में गिरावट आई।

5 साल से गरीबों का बढ़ना जारी 

बीते पांच साल के आंकड़े देखे तो हर साल गरीबी रेखा से नीचे परिवारों का बढ़ने का सिलसिला लगातार जारी है। एक बार साल 2024 के मुक़ाबले साल 2025 में संख्या थोड़ी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन उसके बाद बढ़ने का सिलसिला जारी है। प्रदेश में साल 2021 के शुरुआत में गरीबी रेखा से नीचे परिवारों की संख्या 27,07,517 थी तो साल 2022 में 26,91,122, साल 2023 में गरीबी रेखा से नीचे परिवारों की संख्या बढ़कर 30,38,599 हो गई तो साल 2024 में 44,55,037 तथा साल 2025 में 51,78,024 हो गई।

साल 2024 में गरीबी रेखा से नीचे परिवारों में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी का कारण आय सीमा एक लाख से बढ़ाकर एक लाख 80 हजार करना था।

फतेहाबाद में 5513 कम हुआ गरीबी का आंकड़ा

फतेहाबाद जिले में गरीब परिवारों की संख्या फरवरी 2025 में घटने के बाद मार्च 2025 में फिर बढ़ गई। जिले में जहां गरीब परिवारों की संख्या जनवरी 2024 के 1,86,437 के मुक़ाबले जनवरी 2025 में 25 हजार बढ़कर 2,11,407 हो गयी। फरवरी 2025 में हल्की गिरावट के बाद 2,10,742 हो गयी तो मार्च 25 में फिर बढ़कर 2,11,067 हो गयी। इसमें रोचक तथ्य यह है कि जिले में इस साल जनवरी के मुक़ाबले मार्च में गरीब परिवारों की संख्या तो मात्र 340 घटी, लेकिन गरीब व्यक्तियों की संख्या 5513 कम हो गई।

हालांकि जहां सत्तारूढ़ दल भाजपा के नेता गरीब परिवारों की संख्या बढ़ने को आयु सीमा बढ़ाना मानते हैं तो विपक्षी दल इसे प्रदेश में व्याप्त बेरोजगारी को कहते हैं।

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