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‘प्राकृतिक खेती से लागत कम कर किसान बढ़ा सकते हैं आमदन’

पिपली (कुरुक्षेत्र), 7 जून (निस) जिला विस्तार विशेषज्ञ डॉ. सरिता रानी ने कहा कि किसान प्राकृतिक खेती को अपनाकर अपनी आय को दुगना कर सकते है। इसके साथ ही लागत को कम कर सकते हैं। इसलिए प्राकृतिक खेती को अपनाकर...

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पिपली (कुरुक्षेत्र), 7 जून (निस)

जिला विस्तार विशेषज्ञ डॉ. सरिता रानी ने कहा कि किसान प्राकृतिक खेती को अपनाकर अपनी आय को दुगना कर सकते है। इसके साथ ही लागत को कम कर सकते हैं। इसलिए प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान नागरिकों के स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचा सकते हैं। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र, कुरुक्षेत्र के वरिष्ठ समन्वयक डॉ. बलजीत सिंह सहारण की टीम ने आज जिले के 6 गांव में किसानों को जागरूक किया। भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल प्रधान वैज्ञानिक दिनेश ने बताया कि अब सितंबर माह में सरकार के द्वारा चलाई जाने वाले प्रोग्राम से अब किसानों को बीज लेने के लिए लंबी कतार में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। इसके बारे में उन्होंने संपूर्ण जानकारी किसानों के साथ साझा की।

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उन्होंने कहा कि 9 दिन से चल रहे अभियान में कृषि के विभिन्न पहलुओं पर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा चलाये जा रहे 15 दिवसीय विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के माध्यम से कुरुक्षेत्र जिले के अब तक 48 गांव में जागरूकता अभियान चलाया गया है।

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एनडीआरआई करनाल के विशेषज्ञ डॉ. वारिस नयन ने दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य तथा कृत्रिम गर्भाधान के बारे में विस्तार से बताया। सब डिविजनल एग्रीकल्चर ऑफिसर, पेहवा डॉ. मनीष वत्स ने धान की सीधी बिजाई पर मिलने वाली सब्सिडी के बारे में विस्तार से किसानों को बताया। मौसम वैज्ञानिक डॉ. ममता ने मौसम पूर्वानुमान और मौसम का फसलों में महत्व के बारे में किसानों को जागरूक किया।

जिला विस्तार विशेषज्ञ डॉ.कविता ने गांव खानपुर जाटान, ठोल माजरा, चढूनी जाटान, किशनगढ़, यारा, डीग में विभिन्न प्रकार की नई तकनीक की वैज्ञानिक जानकारी दी। दोनों ही टीम में कृषि विज्ञान केन्द्र भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, बागवानी विभाग, तथा मत्सय विभाग, तथा अन्य विभाग के अधिकारी भी थे। दोनों ही टीम ने किसानों के साथ संवाद किया। इस दौरान किसानों को धान की सीधी बिजाई, मिट्टी और पानी की जांच, प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया गया।

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