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नई इकाई के लिए एक साल बाद मिली पर्यावरणीय मंजूरी

दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर प्लांट
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यमुनानगर स्थित थर्मल प्लांट। हप्र
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सुरेंद्र मेहता/हप्र

यमुनानगर, 30 जनवरी

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एक साल बाद आखिरकार दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर प्लांट में 800 मेगावाट की नई अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल इकाई की स्थापना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई। थर्मल प्लांट की इस नई यूनिट के निर्माण के लिए कंपनी को पत्र जारी किया गया है। गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस यूनिट का शिलान्यास का कार्यक्रम भी बना था, लेकिन पर्यावरण को लेकर मंजूरी न मिलने के कारण शिलान्यास नहीं हो सका था।

दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर प्लांट, पांसरा गांव, यमुनानगर में 6,900 करोड़ रुपये की लागत से 800 मेगावाट अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल यूनिट का 57 महीने में निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। निर्माण कार्य भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड करेगा। नई यूनिट की मशीन स्वदेशी और आधुनिक होंगी। इनकी चिमनियां व कूलिंग टावर छोटे होंगे। तेजी से बिजली बनेगी और प्रदूषण भी कम होगा। प्लांट प्रदूषण मुक्त तो होगा साथ ही 17.49 लाख मीट्रिक टन ऐश (राख) उत्पादन भी होगा, जबकि मौजूदा समय में 600 मेगावाट की यूनिट से 12.61 लाख मीट्रिक टन राख का उत्पादन हो रहा है। वहीं राख को स्टोर करने के लिए लापरा गांव में दो बड़े तालाब बनाए जा रहे हैं। जिनकी कुल क्षमता 43.62 लाख मीट्रिक टन होगी, जबकि वर्तमान में 5.91 लाख मीट्रिक टन के तालाब है जिनकी क्षमता 25.16 लाख मीट्रिक टन है।

नई 800 मेगावाट अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल यूनिट के लिए 22 क्यूसेक पानी की भी आवश्यकता होगी। मौजूदा समय में दीनबंधु छोटू राम थर्मल पॉवर प्लांट की 600 मेगावाट यूनिट के लिए 19 क्यूसेक पानी उपयोग में हो रहा है। इतना ही नहीं नई यूनिट लगने के बाद जिले से कुल 1400 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा। वहीं अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल यूनिट के लिए सहायक शक्ति 52 मेगावाट की आवश्यकता होगी। मौजूदा समय में सहायक शक्ति 48 मेगावाट है। इस तरह नए प्लांट के स्थापित होने के बाद 100 मेगावाट सहायक शक्ति की आवश्यकता होगी। दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर प्लांट में 300/300 मेगावाट की दो यूनिट पहले से ही कार्यरत है।

ढिलाई पर मनोहर लाल ने लगाई थी फटकार

मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री काल में फरवरी में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड को निर्माण के लिए 6900 करोड़ रुपये का टेंडर अलॉट किया था। इसके बाद कई जरूरी दस्तावेज पूरे करने में एक साल का समय लग गया। एक साल पहले टेंडर अलॉट होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के प्रति अधिकारियों की ढिलाई को देखकर पिछले दिनों फटकार लगाई थी, जिसके चलते अधिकारी अब हरकत में आए हैं। ऊर्जा मंत्री अनिल विज और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने इस परियोजना को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा कि यह पावर प्लांट यमुनानगर जिले के निवासियों के लिए एक बड़ा तोहफा है। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और इलाके में बिजनेस भी बढ़ेगा।

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